- विश्व शांति के लिए किया काम
- जगदीश गांधी के संघर्षों ने सिटी मांटेसरी स्कूल को एशिया में दिलाई थी बड़ी पहचान
नवेद शिकोह,लखनऊ। शीतलहर को लेकर स्कूली बच्चों की लम्बी छुट्टियों के बीच छुट्टियों से चिढ़ने और लड़ने वाले सीएमएस के संस्थापक जगदीश गांधी को जिन्दगी से छुट्टी मिल गई।देश को आजादी दिलाने वाले महत्मा गांधी के बाद ये दूसरा गांधी कान्वेंट एजूकेशन की क्रांति लाने के लिए जाना जाएगा। इंसान की फितरत है कि उसे जिन्दा इंसान की बुराई और मरने वाले की अच्छाइयां याद आती हैं।
आलोचना कामयाबी की तरफ ज्यादा लपकती है। मज़म्मत कामयाबी का पैमाना है।गांधी बेहद कामयाब इंसान थे इसलिए उन्हें बुरा-भला कहने और लिखने वालों की कमी नहीं थी। आश्चर्यजनक और विरोधाभासी बात ये है कि सीएमएस और गांधी की कमियां, खामियां जताने वाले सैकड़ो लोग थे तो लाखों लोग ऐसे भी हैं जो गांधी और सीएमएस की क्षत्रछाया में अपने बच्चों का उज्जवल भविष्य देखते हैं। उनका लखनऊ के मेदांता अस्पताल में इलाज चल रहा था सोमवार सुबह 88 वर्ष की उम्र में उन्होंने अंतिम सास ली।
लाखों बच्चों का भविष्य संवारा
यदि सचमुच गांधी के शिक्षा संस्थान में इतनी खामियां होती तो इतनी बड़ी तादाद में लोग सीएमएस में अपने बच्चों का भविष्य दांव पर क्यों लगाते। आम और खास इंसान को यहां एडमिशन की हसरत नहीं होती। हर दौर में एडमिशन की बाड़ नहीं आती।
गांधी के इस स्कूल की अनगिनत शाखाओं में बच्चों की तादाद दुनिया के शैक्षिक संस्थानों में एक रिकार्ड है।ईसाईयों के मिशनरी स्कूल और फिर सिटी मांटेसरी स्कूल कांवेंट शिक्षा की क्रांति नहीं लाता तो शायद सरस्वती विद्या मंदिरों, मदरसों या बदहाल सरकारी स्कूलों की शिक्षा पर ही बच्चों का भविष्य निर्भर रहता।जगदीश गांधी ने उत्तर प्रदेश को एशिया का सबसे बड़ा स्कूल दिया। हजारों आईएएस, आईपीएस, डाक्टर, इंजीनियर, फौजी, आईटी एक्सपर्ट, शिक्षक, बैंककर्मी और बड़े-बड़े ओहदेदार दिए। शिक्षा में टॉपर से लेकर सिविल सर्विसेज से लेकर किसी भी टफ परीक्षा के चुनिंदा चयनित अभ्यर्थियों में सीएमएस के पास आउट ना हों ऐसा कभी हुआ ही नहीं।
सादगी के प्रतीक थे जगदीश गांधी
दुनिया की हर हस्ती सीएमएस के कार्यक्रमों मे कदमताल करती थी।जमीनी स्ट्रगल से तरक्की के आसमानों की उड़ान भरने वाले जगदीश गांधी में बहुत सी खूबियां थीं। उत्तर प्रदेश जिसकी सियासत धर्म-जाति के जहर से सूबे को बर्बादी के रास्ते दिखाती है उस राज्य के तमाम शहरों में बिछे सीएमएस की सैकड़ों शाखाओं को शिक्षा के साथ शांति, सद्भाव और एकता के सबक सिखाए जाते हैं।
मरहूम की शख्सियत सादगी और पार्दर्शिता से भरी थी लेकिन शायद ही कोई जगदीश गांधी के धर्म-जाति से कोई पूरी तरह वाकिफ हो। दुनिया के तमाम देशों के राष्ट्रपति, न्याधीश, एम्बेसडर.. और देश की तमाम हस्तियां गांधी की शांति की महफिलों में शरीक होती थीं। विश्व शांति और सद्भाव के लिए निरंतर काम करने वाले सीएमएस प्रमुख गांधी को विश्वशांति के लिए नोबेल पुरस्कार मिले तो आश्चर्य नहीं होगा।स्थानीय नवोदित पत्रकारों को सम्मान और भोजन कराने के लिए भी जाने जाने वाले जगदीश गांधी जी को नमन।
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