- 45 प्रतिशत से ज्यादा सीरियस गेमर्स सालाना 6 लाख रुपये से ज्यादा की कमाई कर रहे हैं
- 42 प्रतिशत माता-पिता ने गेमिंग को शौक के रूप में स्वीकार किया है
- 67 प्रतिशत गेमर्स मोबाइल की तुलना में पीसी पर गेमिंग को प्राथमिकता देते हैं
- ईस्पोर्ट्स मैनेजमेंट और गेम डेवलपमेंट के लिए निशुल्क ऑनलाइन प्रोफेशनल सर्टिफिकेट प्रोग्राम के रूप में एचपी ने पेश किया ‘एचपी गेमिंग गैराज‘
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली: भारत में ईस्पोर्ट्स इंडस्ट्री में हो रही प्रगति ने देश के गेमर्स को बहुत फायदा पहुंचाया है। अब उनके पास इस इंडस्ट्री में करियर के अवसर बढ़े हैं और उन्हें ज्यादा आय पाने का मौका भी मिल रहा है। एचपी इंडिया गेमिंग लैंडस्केप स्टडी 2023 में यह बात सामने आई है। इस अध्ययन में 15 शहरों के 3,000 गेमर्स को शामिल किया गया। इसमें सामने आया कि आनंद और सुकून के साथ-साथ गेमर्स अब गेमिंग की मदद से पैसा और पहचान भी कमा रहे हैं। इस अध्ययन में पहली बार 500 अभिभावकों को भी शामिल किया गया। इसमें सामने आया कि पिछले कुछ साल में भारत में गेमिंग को लेकर माता-पिता की सोच में भी सकारात्मक बदलाव आया है।
एचपी इंडिया मार्केट की सीनियर वाइस प्रेसिडेंट और मैनेजिंग डायरेक्टर इप्सिता दासगुप्ता ने कहा, ‘भारत वैश्विक स्तर पर तीसरा पीसी गेमिंग देश बनकर सामने आया है। इस विकास के साथ कदम मिलाते हुए हम लगातार इनोवेशन एवं अत्याधुनिक टूल्स की मदद से गेमर्स को सशक्त एवं सक्षम बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इस अध्ययन से हमें गेमिंग की दुनिया को गहराई से समझने का मौका मिला है और गेमर्स के उत्साह एवं उनकी महत्वाकांक्षा की तस्वीर भी सामने आई है।’
गेमिंग से बढ़ रही है आय:
भारत में 2022 की तुलना में इस साल गेमिंग से आय बढ़ी है। अध्ययन में हिस्सा लेने वाले करीब आधे सीरियस गेमर्स ने बताया कि गेमिंग से उन्हें सालाना 6 से 12 लाख रुपये तक की कमाई हो रही है।
नई भूमिकाओं पर है गेमर्स की नजर:
स्पॉन्सरशिप और ई-स्पोर्ट्स टूर्नामेंट आय का उल्लेखनीय स्रोत बनकर सामने आए हैं, जिससे गेमिंग कम्युनिटी की बढ़ती महत्ता भी सामने आ रही है। भारत में गेमिंग इंडस्ट्री गेमर्स को कई करियर विकल्पों में हाथ आजमाने का मौका भी दे रही है। अध्ययन में शामिल प्रतिभागियों ने बताया कि गेमर होने के अलावा भविष्य में वे इन्फ्लूएंसर के रूप में या ईस्पोर्ट्स मैनेजमेंट में करियर पर भी नजर बनाए हुए हैं।
एचपी इंडिया मार्केट के सीनियर डायरेक्टर – पर्सनल सिस्टम्स विक्रम बेदी ने कहा, ‘यह देखना उत्साहजनक है कि ईस्पोर्ट्स इंडस्ट्री बढ़ रही है और इससे गेमर्स को कई तरह के करियर के विकल्प भी मिल रहे हैं। हमें विश्वास है कि भारतीय युवाओं में न केवल देश को ग्लोबल ईस्पोर्ट्स एरेना बनाने की क्षमता है, बल्कि वे इस इंडस्ट्री में उद्यमिता के अवसर भी सृजित कर सकते हैं। एचपी में हम एचपी गेमिंग गैराज जैसी पहल के माध्यम से उनके विकास में मदद कर रहे हैं और नए गेमर्स को प्रोत्साहित कर रहे हैं।’
गेमिंग को लेकर सकारात्मक नजरिया
अध्ययन में सामने आया है कि भारत में गेमिंग को लेकर माता-पिता के नजरिये में भी सकारात्मक बदलाव आ रहा है। अध्ययन में शामिल 42 प्रतिशत अभिभावकों ने गेमिंग को शौक के रूप में स्वीकृति दी। 40 प्रतिशत अभिभावकों ने माना कि पिछले कुछ साल में गेमिंग को लेकर उनकी सोच में सकारात्मक बदलाव आया है। ऐसा विशेष रूप से इस इंडस्ट्री में हो रही प्रगति के कारण हुआ है।
हालांकि, गेमिंग करियर के स्थायित्व और सामाजिक रूप से सभी से कट जाने को लेकर अभिभावकों में चिंता बनी हुई है। अध्ययन में सामने आया कि अभिभावकों के पास भारत में गेमिंग की संभावनाओं के बारे में पर्याप्त जानकारी नहीं है। 49 प्रतिशत अभिभावक गेमिंग के बारे में कुछ भी जानने के लिए दोस्तों और परिवार के सदस्यों पर ही निर्भर हैं।
देशभर में बढ़ रही है गेमिंग
गेमिंग अब मेट्रो शहरों तक सीमित नहीं रह गई है। अध्ययन में नॉन-मेट्रो शहरों में भी सीरियस गेमर्स की संख्या बढ़ने की तस्वीर सामने आई है।गेमिंग आबादी के किसी खास वर्ग तक सीमित नहीं है। 75 प्रतिशत जेन जेड और 67 प्रतिशत मिलेनियल्स सीरियस गेमर्स हैं। अध्ययन में शामिल 58 प्रतिशत महिला प्रतिभागियों की पहचान सीरियस गेमर्स के रूप में हुई। यह दिखाता है कि किस तरह से गेमिंग ने सभी को अपने साथ जोड़ा है। इसके अतिरिक्त, यह भी देखा गया कि हर तीसरा गेमर इससे कुछ कमाई करने या पहचान पाने के लिए जुड़ता है।
डेवलपमेंट इन्फ्रास्ट्रक्चर की जरूरत:
अध्ययन में यह भी सामने आया कि 61 प्रतिशत प्रतिभागी भारत में गेमिंग पाठ्यक्रमों के बारे में नहीं जानते हैं। आधे से ज्यादा गेमर्स अपना कौशल बढ़ाने के लिए यूट्यूब और अन्य गेमर्स पर ही निर्भर रहते हैं। 57 प्रतिशत प्रतिभागी चाहते हैं कि गेमिंग में बेहतर प्रदर्शन करने के लिए गेमप्ले ट्रेनिंग की व्यवस्था होनी चाहिए।बात अगर गेमिंग डिवाइस की हो, तो पीसी लोगों की पहली पसंद बनकर सामने आए हैं। 67 प्रतिशत गेमर्स मोबाइल फोन के बजाय पीसी को प्राथमिकता देते हैं। अध्ययन में यह भी सामने आया कि गेमर्स गेमिंग पीसी पर 1 लाख रुपये से ज्यादा तक खर्च करने के लिए तैयार हैं। मोबाइल के बजाय पीसी को प्राथमिकता देने का कारण है कि इससे बेहतर एफपीएस और डिस्प्ले मिलता है।
फ्री ऑनलाइन गेमिंग पाठ्यक्रम
एचपी ने ईस्पोर्ट्स मैनेजमेंट और गेम डेवलपमेंट के लिए निशुल्क ऑनलाइन प्रोफेशनल सर्टिफिकेट प्रोग्राम के रूप में ‘एचपी गेमिंग गैराज’ की पेशकश की है। इसमें भारत के गेमिंग के दीवानों के लिए ऑनलाइन मॉड्यूल बनाया गया है, जिसमें ईस्पोर्ट्स मैनेजमेंट, गेम डिजाइन और गेम परफॉर्मिंग को शामिल किया गया है। इससे इन क्षेत्रों में लर्निंग एवं डेवलपमेंट को बढ़ावा मिलेगा। ईडीएक्स पर होस्ट किया गया यह प्रोग्राम अंग्रेजी, हिंदी और तेलुगु समेत 12 भाषाओं में उपलब्ध है। इस लिंक पर क्लिक करके पेज तक पहुंच सकते हैं: Esports Management and Game Development Professional Certificate | edX.
इस साल की शुरूआत में ही एचपी ने पीसी गेमिंग का अनुभव देने और नए गेमर्स को गेमप्ले में निखार में मदद के लिए भारत में ओमेन प्लेग्राउंड स्टोर्स खोले हैं। इन स्टोर्स पर गेमर्स गेम खेल सकते हैं और बिना किसी लागत के अन्य गेमिंग कम्युनिटी से जुड़ सकते हैं।
प्रक्रिया
अध्ययन में भारत के कुल 15 टियर-1 और टियर-2 शहरों से 3,500 लोगों ने हिस्सा लिया। इनमें 3,000 गेमर्स और 500 अभिभावकों का साक्षात्कार लिया गया। प्रतिभागियों में 15 से 34 साल की उम्र के 75 प्रतिशत पुरुष और 25 प्रतिशत महिला गेमर्स शामिल थे। इनमें 70 प्रतिशत पीसी यूजर्स और 30 प्रतिशत मोबाइल फोन यूजर्स थे।
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