इन्फोसिस साइंस फाउंडेशन ने छह श्रेणियों में इन्फोसिस प्राइज 2023 के विजेताओं का किया एलान

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Infosys Science Foundation announces winners of Infosys Prize 2023 in six categories
पुरस्कार समारोह का आयोजन बेंगलुरु स्थित इन्फोसिस साइंस फाउंडेशन के कार्यालय में किया गया।

बिजनेस डेस्क,बेंगलुरु। इन्फोसिस साइंस फाउंडेशन (आईएसएफ) ने आज छह श्रेणियों में इन्फोसिस प्राइज 2023 के विजेताओं की घोषणा की। इंजीनियरिंग एवं कंप्यूटर साइंस, ह्यूमैनिटीज, लाइफ साइंसेज, मैथमेटिकल साइंसेज, फिजिकल साइंसेज और सोशल साइंसेज की श्रेणियों में विजेताओं का चयन किया गया है। 2008 में अपनी स्थापना के बाद से ही इन्फोसिस प्राइज के माध्यम से भारत को प्रभावित करने वाले विभिन्न वैज्ञानिक शोध एवं विद्वता में उल्लेखनीय योगदान देने वालों की उपलब्धियों का सम्मान किया जा रहा है और उन्हें पुरस्कृत किया जा रहा है। प्रत्येक श्रेणी में पुरस्कार के अंतर्गत एक स्वर्ण पदक, प्रशस्ति पत्र और 1,00,000 डॉलर (या इसके बराबर भारतीय मुद्रा) की राशि प्रदान की जाती है। पुरस्कार समारोह का आयोजन बेंगलुरु स्थित इन्फोसिस साइंस फाउंडेशन के कार्यालय में किया गया।

अंतरराष्ट्रीय पैनल ने किया चयन

इन्फोसिस प्राइज 2023 के विजेताओं को जूरी सदस्यों के एक अंतरराष्ट्रीय पैनल द्वारा 224 नामांकनों में से चुना गया। इस पैनल में वैश्विक स्तर पर ख्यातिप्राप्त विद्वान एवं विशेषज्ञ शामिल थे। पिछले 15 वर्षों में आईएसएफ ने मानव जीवन के विभिन्न पहलुओं में योगदान देने वाले कुछ बेहतरीन शोध और विद्वता को सम्मानित किया है। वर्तमान समय में इन्फोसिस प्राइज विज्ञान एवं अनुसंधान के क्षेत्र में उत्कृष्टता को सम्मानित करने वाला भारत का सबसे बड़ा पुरस्कार है।

इन्फोसिस प्राइज के विभिन्न विजेताओं ने कई अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार भी प्राप्त किए हैं। इनमें नोबेल प्राइज (अभिजीत बनर्जी एवं एस्थर डुफ्लो), फील्ड्स मेडल (मंजुल भार्गव एवं अक्षय वेंकटेश), डैन डेविड प्राइज (संजय सुब्रमण्यम), मैकआर्थर ‘जीनियस’ ग्रांट (सुनील अमृत) और ब्रेकथ्रू प्राइज इन फंडामेंटल फिजिक्स (अशोक सेन) जैसे नाम शामिल हैं। कई पुरस्कार विजेताओं को रॉयल सोसायटी का फेलो भी चुना गया है। इनमें गगनदीप कांग भी शामिल हैं, जो रॉयल सोसायटी की फेलो चुनी जाने वाली पहली भारतीय महिला बनी हैं। अन्य लोग सरकार एवं शिक्षा जगत में प्रभावशाली पदों पर आसीन हैं।

विजेताओं को दी शुभकामनाएं

इन्फोसिस प्राइज 2023 के विजेताओं के नामों की घोषणा इन्फोसिस साइंस फाउंडेशन के ट्रस्टियों श्री क्रिस गोपालकृष्णन (प्रेसिडेंट, बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज), नारायण मूर्ति, श्रीनाथ बटनी, के दिनेश और श्री एस.डी. शिबूलाल ने की। इन्फोसिस साइंस फाउंडेशन के अन्य ट्रस्टियों श्री नंदन नीलेकणि, मोहनदास पई और सलिल पारेख ने भी विजेताओं को अपनी शुभकामनाएं दीं।

इन्फोसिस साइंस फाउंडेशन के प्रेसिडेंट क्रिस गोपालकृष्णन ने कहा, “यह वर्ष इन्फोसिस साइंस फाउंडेशन के सफर का एक ऐतिहासिक क्षण है। विगत 15 वर्षों के दौरान इन्फोसिस प्राइज ने ऐसे मिड-करियर शोधकर्ताओं को सम्मानित किया है, जिन्होंने विभिन्न विषयों में प्रभावशाली एवं अभूतपूर्व काम किया है। इस पुरस्कार ने उनके काम के बारे में विमर्श को बढ़ाने में मदद की है और बड़े पैमाने पर विज्ञान एवं समाज से जुड़े विषयों के बीच सार्थक जुड़ाव पैदा किया है। मैं इन्फोसिस प्राइज 2023 के विजेताओं को बधाई देता हूं।”

बदलती दुनिया को दिशा दी

अपने विचार साझा करते हुए इन्फोसिस के संस्थापक एवं इन्फोसिस साइंस फाउंडेशन के ट्रस्टी नारायण मूर्ति ने कहा, “सीखने की क्षमता, रचनात्मकता और इनोवेशन हमारी इस तेजी से बदलती दुनिया को दिशा दिखाने का माध्यम हैं। हमें इस दौर की गंभीर एवं सतत समस्याओं से निपटने के लिए साहसिक तरीके से आविष्कारक बनना होगा। बात चाहे गणित, शोधपरक चिकित्सा एवं डायग्नोस्टिक्स की सदियों पुरानी व्यवस्था की हो या गरीबी जैसी सामाजिक चुनौतियों का समाधान खोजने की, इन्फोसिस प्राइज के विजेताओं ने समस्याओं का समाधान खोजने के अपने दृष्टिकोण से हमें इस एडेप्टिव थिंकिंग के महत्व के बारे में समझाया है। इसके लिए मैं इन्फोसिस प्राइज के सभी विजेताओं को बधाई देता हूं।”

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वर्तमान समय में इन्फोसिस प्राइज विज्ञान एवं अनुसंधान के क्षेत्र में उत्कृष्टता को सम्मानित करने वाला भारत का सबसे बड़ा पुरस्कार है।

छह श्रेणियों में इन्फोसिस प्राइज 2023 के विजेता:

इंजीनियरिंग एवं कंप्यूटर साइंस

इंजीनियरिंग एवं कंप्यूटर साइंस की श्रेणी में आईआईटी-कानपुर के सस्टेनेबल एनर्जी इंजीनियरिंग (एसईई) के प्रोफेसर सच्चिदानंद त्रिपाठी को इन्फोसिस प्राइज 2023 से सम्मानित किया गया है। उन्हें प्रभावी वायु गुणवत्ता प्रबंधन (एयर क्वालिटी मैनेजमेंट) एवं लोगों में जागरूकता के लिए जमीनी स्तर पर प्रदूषण को मापने, डाटा जनरेट करने और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस एवं मशीन लर्निंग के माध्यम से विश्लेषण करने के लिए लार्ज-स्केल सेंसर-बेस्ड एयर क्वालिटी नेटवर्क एवं मोबाइल लैब स्थापित करने के लिए यह पुरस्कार प्रदान किया गया। प्रो. त्रिपाठी के काम से यह जानने में मदद मिली है कि दिल्ली और बीजिंग जैसे अन्य शहरों में सर्दियों की धुंध के बीच महत्वपूर्ण अंतर यह है कि दिल्ली में नैनो-पार्टिकल बहुत तेजी से बढ़ते हैं। ऐसा बिना किसी फोटोकेमिस्ट्री के रात में होता है। इस तथ्य को समझकर भारत में वायु प्रदूषण कम करने में बड़ी मदद मिल सकती है।

ह्यूमैनिटीज

ह्यूमैनिटीज (मानविकी) में इन्फोसिस प्राइज 2023 के लिए साइंस गैलरी बेंगलुरु की संस्थापक निदेशक जाह्नवी फाल्के को चुना गया है। उन्हें आधुनिक भारत में वैज्ञानिक अनुसंधान के व्यक्तिगत, संस्थागत एवं भौतिक इतिहास के क्षेत्र में उनकी शानदार एवं व्यापक अंतर्दृष्टि के लिए यह पुरस्कार मिला है। उनकी पुस्तक द एटॉमिक स्टेट और विभिन्न लेखों से प्रभावी तरीके से विज्ञान, विशेष रूप से परमाणु विज्ञान के वैश्विक इतिहास का पता चलता है। इनमें भारत में विज्ञान की दैनिक प्रगति के समृद्ध एवं सुगठित इतिहास को सामने लाने के लिए उत्तर-औपनिवेशिक काल के मानवविज्ञान को समाहित किया गया है। डॉ. फाल्के के काम ने विज्ञान के इतिहास को मात्र वैज्ञानिक विचारों के इतिहास के रूप में देखने के बजाय शक्ति, अभ्यास और राष्ट्र-राज्य के इतिहास के रूप में देखने की आवश्यकता को सामने रखा है।

लाइफ साइंसेज

लाइफ साइंसेज के क्षेत्र में इन्फोसिस प्राइज 2023 से आईआईटी-कानपुर के बायोलॉजिकल साइंसेज एवं बायोइंजीनियरिंग के प्रोफेसर अरुण कुमार शुक्ला को सम्मानित किया गया है। उन्हें जी-प्रोटीन कपल्ड रिसेप्टर (जीपीसीआर) के क्षेत्र में उनके उत्कृष्ट एवं दूरगामी योगदान के लिए यह पुरस्कार मिला है। प्रो. शुक्ला के शोध ने जीपीसीआर को लेकर एक नई समझ स्थापित की है। जीपीसीआर ड्रग टार्गेट्स के मामले में सबसे महत्वपूर्ण रिसेप्टर्स में से एक है। उनके काम ने उपचार (थेराप्यूटिक्स) के क्षेत्र में नई एवं प्रभावी प्रक्रियाएं डिजाइन करने के ऐसे रास्ते खोले हैं, जो अब तक अज्ञात थे।

मैथमेटिकल साइंसेज

मैथमेटिकल साइंसेज (गणितीय विज्ञान) की श्रेणी में इन्फोसिस प्राइज 2023 के लिए इंस्टीट्यूट फॉर एडवांस्ड स्टडी एवं प्रिंसटन यूनिवर्सिटी के फर्नहोल्ज जॉइंट प्रोफेसर भार्गव भट्ट को चुना गया गया है। उन्हें अंकगणितीय ज्यामिती (एरिथमेटिक ज्योमिट्री) और क्रमविनिमेय बीजगणित (कम्युटेटिव अलजेब्रा) में उनके उत्कृष्ट और मौलिक योगदान के लिए यह पुरस्कार प्रदान किया गया है। प्रोफेसर भट्ट ने जर्मन गणितज्ञ पीटर शोल्ज के साथ मिलकर प्रिज्मैटिक कोहोमोलॉजी के क्षेत्र में काम किया है, जिससे शुद्ध अंकगणित का मूल कहे जाने वाले इस क्षेत्र में नए आइडिया एवं प्रभावी तरीके सामने आए हैं।

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बड़े पैमाने पर विज्ञान एवं समाज से जुड़े विषयों के बीच सार्थक जुड़ाव पैदा किया है। मैं इन्फोसिस प्राइज 2023 के विजेताओं को बधाई देता हूं।”

फिजिकल साइंसेज

फिजिकल साइंसेज (भौतिक विज्ञान) की श्रेणी में नेशनल सेंटर फॉर बायोलॉजिकल साइंसेज में बायोकेमिस्ट्री, बायोफिजिक्स एवं बायोइन्फॉर्मेटिक्स के प्रोफेसर मुकुंद थट्टाई को इन्फोसिस प्राइज 2023 से सम्मानित किया गया है। उन्हें इवॉल्यूशनरी सेल बायोलॉजी (विकासवादी कोशिका जीव विज्ञान) के क्षेत्र में उनके अभूतपूर्व योगदान के लिए यह पुरस्कार मिला है। प्रो. थट्टाई एक भौतिक विज्ञानी हैं, जिन्होंने यह शोध किया है कि कैसे माइक्रोस्कोपिक डिसऑर्डर से कॉम्प्लेक्स सेल्युलर ऑर्गनाइजेशन बन जाता है। थट्टाई के इस शोध से जीव विज्ञान के केंद्रीय रहस्यों में से एक की गुत्थी को सुलझाने में मदद मिल सकती है। यह गुत्थी है कि कैसे शुरुआती सरल कोशिकाओं से जटिल कोशिकाओं का विकास हुआ। वह जीवन की भौतिकी के अग्रणी विद्वानों में से हैं।

सोशल साइंसेज

सोशल साइंसेज (सामाजिक विज्ञान) की श्रेणी में कोलंबिया यूनिवर्सिटी की राजनीति विज्ञान की प्रोफेसर करुणा मंटेना को इन्फोसिस प्राइज 2023 से सम्मानित किया गया। उन्हें शाही शासन (इम्पीरियल रूल) के सिद्धांत पर उनके अभूतपूर्व शोध के लिए यह सम्मान दिया गया है। उनका दावा है कि कालांतर में शाही विचारधारा ही आधुनिक सामाजिक सिद्धांत के प्रादुर्भाव का महत्वपूर्ण कारक बन गई।

प्रो. मंटेना की पुस्तक एलिबिस ऑफ एम्पायर और इससे संबंधित लेख राजनीतिक सिद्धांत के क्षेत्र में प्रकाशित ऐतिहासिक दस्तावेज हैं, जिनसे सामाजिक विज्ञान के हर क्षेत्र पर प्रभाव पड़ा है। उनकी प्रभावशाली पुस्तक हमें यह समझने में मदद करती है कि भारत में 1857 के विद्रोह के बाद शाही नीति में नाटकीय बदलाव उस घटना की सीधी प्रतिक्रिया नहीं थी, बल्कि यह परोक्ष शाही शासन की एक नई विचारधारा थी, जिसे बहुत सावधानी के साथ हेनरी मेन जैसे विचारकों-प्रशासकों की चतुराई से तैयार किया गया था।

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