बाल कविता: हाँड कँपाने आया फिर से, जाड़े का मौसम…
धीरे-धीरे ठंड बढ़ गई, गरमी हुई ख़तम। हाँड कँपाने आया फिर से, जाड़े का मौसम ।। पानी जमकर बर्फ हो…
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धीरे-धीरे ठंड बढ़ गई, गरमी हुई ख़तम। हाँड कँपाने आया फिर से, जाड़े का मौसम ।। पानी जमकर बर्फ हो…
भाग्य भरोसे बैठ कर, मत करिए आराम । करने से बन जाएँगे, बिगड़े सारे काम ।। चंचल मन चलता बहुत,…
नई कविता नई भाषा नए शब्द गढ़ रहे हैं हम । जिन्दगी के फलसफे को मंद मंद पढ़ रहे हैं…
मैं किसी से कभी माँगता कुछ नहीं । अब तुम्हारे सिवा चाहता कुछ नहीं।। इस हकीकत से वाकिफ हुआ हूँ…
उनसे नज़रें मिला के बैठे हैं । सबको दुश्मन बना के बैठे हैं ।। हाले-दिल अपना अब कहें कैसे, खुद…
दे गई वह भी दगा तो क्या करें । जिंदगी है बेवफा तो क्या करें ।। साँस में जिसको बसाया…
गर्मी से पशु पक्षी व्याकुल, व्याकुल है संसार । काट रही है अंग-अंग को, धूप बनी तलवार । डंक मारती…
एक बूँद सागर की लेके हम चले आए । प्यार के समन्दर से हो के हम चले आए। । आपसे…
~राम नरेश ‘उज्ज्वल’ रास्ते और भी हैं.. —————— दृश्य-एक (एक युवक सो रहा है और…