लखनऊ में मिला कालाजार का मरीज, स्वास्थ्य विभाग में मचा हड़कंप, आसपास के 500 परिवारों की होगी जांच

50
Kala-azar patient found in Lucknow, panic in health department, 500 nearby families will be examined
10 हजार की आबादी पर 0.5 केस होने की वजह से वर्ष 2019 में कालाजार बीमारी को खत्म मान लिया गया।

लखनऊ। तराई क्षेत्र के लोगों को चपेट में लेने वाली गंभीर बीमारी कालाबाजार अब राजधानी लखनऊ पहुंच गई है। यहां एक मरीज में इसकी पुष्टि हुई है। खास बात यह है कि इस मरीज की कोई यात्रा इतिहास भी नहीं है। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग अलर्ट हो गया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की टीम ने भी मौका मुआयना किया। जिस घर में मरीज मिला है, उसके आसपास रहने वाले 500 परिवारों की जांच कराने की तैयारी है।

प्रदेश में प्रति 10 हजार की आबादी पर 0.5 केस होने की वजह से वर्ष 2019 में कालाजार बीमारी को खत्म मान लिया गया। डब्ल्यूएचओ के मानक के अनुसार एक ब्लॉक में एक हजार की आबादी पर प्रति वर्ष एक मरीज मिलता है तो इसे उन्मूलन की श्रेणी में मान लिया जाता है। अभी तक प्रदेश में मानक से कम मरीज मिल रहे हैं। वर्ष 2024 में अब तक देवरिया में एक, कुशीनगर में सात और बलिया में दो मरीज मिले हैं। इनकी निगरानी चल रही है। इसी बीच सप्ताहभर पहले राजधानी लखनऊ के त्रिवेणी नगर में 17 साल के युवक में कालाजार की पुष्टि हुई है।

घरों में कराया गया दवा का छिड़काव

युवक एक निजी मेडिकल कॉलेज में भर्ती था। डेंगू, मलेरिया सहित सभी तरह की जांच कराई गई। रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद भी बुखार बना रहा। लक्षण के आधार पर कराई गई जांच में कालाजार की पुष्टि हुई। कॉलेज प्रशासन ने स्वास्थ्य विभाग को जानकारी दी। आनन- फानन में डब्ल्यूएचओ और स्वास्थ्य विभाग की टीम ने मौका मुआयना किया। इस केस के मिलने के बाद स्वास्थ्य विभाग अलर्ट है। क्योंकि अभी तक लखनऊ में कालाजार का कभी कोई केस नहीं मिला है। इतना ही नहीं युवक का कोई यात्रा इतिहास भी नहीं है। युवक से कोई पूर्वांचल से मिलने भी नहीं आया है। मरीज के घर के साथ ही आसपास के 500 परिवारों के घरों में सिंथेटिक पायरेथ्रायड का खिड़काव किया जाएगा। इसके बाद इन घरों में बुखार का कोई भी केस आएगा तो उनकी जांच कराई जाएगी। इसके लिए किट भी मंगाई जा रही है।

कालाजार के लक्षण

  • कालाजार एक संक्रमण बीमारी है जो परजीवी लिश्मैनिया डोनोवानी के कारण होता है।
  • कालाजार का परजीवी बालू मक्खी के द्वारा फैलता है।
  • इस परजीवी का जीवन चक्र मनुष्य और बालू मक्खी के ऊपर निर्भर करता है। यह परजीवी अपने जीवन का ज्यादातर समय मनुष्यों के शरीर में रहकर बिताता है।
  • बालू मक्खी कम रौशनी वाली और नम जगहों- जैसे कि मिट्टी की दीवारों की दरारों, चूहे के बिलों तथा नम मिट्टी में रहती है।
  • कालाजार एक वेक्टर जनित रोग है। कालाजार की गंभीरता चरणबद्ध तरीके से बढ़ती है और अगर इसका उपचार न कराया जाए तो यह जानलेवा बीमारी बन सकती है।

इसे भी पढ़ें…

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here