नईदिल्ली। लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान पार्टियों ने फ्री में बिजली समेत अन्य सुविधाएं देने की घोषणाएं लगातार कर रहे थे। कांग्रेस ने देश की हर महिला के खाते में हर साल एक लाख रुपये देने की भी घोषणा की थी, इसके बाद भी उसे मनमाफिक कामयाबी नहीं मिली। अब मुफ्त की योजनाओं का मॉडल लाने वाला राज्य कर्नाटक अब इन योजनाओं को वापस लेने के लिए विचार कर रहा है। दरअसल इन मुफ्त की योजनाओं को पूरा करने के लिए सरकार को भारी भरकम बजट खर्च करना पड़ रहा है। इसलिए सरकार इन योजनाओं की समीक्षा करने पर विचार कर रही है।
नहीं मिला लाभ
इन मुफ्त वाली योजनाओं के भरोसे कांग्रेस ने 20 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा था, लेकिन महज 9 सीटों से ही संतोष करना पड़ा। कर्नाटक विधानसभा में प्रचंड जीत का कांग्रेस को लोकसभा चुनाव में कोई फायदा नहीं मिला। अब सत्तारूढ़ कांग्रेस के भीतर पांच गारंटियों के पुनर्मूल्यांकन की मांंग तेज हो गई हैं, क्योंकि कांग्रेस इन कार्यक्रमों पर सालाना 52,000 करोड़ रुपये खर्च करने का वादा करने के बाद भी लोकसभा चुनावों में दूसरे स्थान पर रही। गारंटी के वादे के साथ पार्टी पिछले साल विधानसभा चुनावों में सत्ता में आई थी, जिसके तहत एक के बाद एक कार्यक्रम शुरू किए गए। योजनाओं में महिलाओं के लिए मुफ्त बस यात्रा, महीने में 200 यूनिट तक मुफ्त बिजली की आपूर्ति और परिवार की प्रत्येक महिला मुखिया को हर महीने 2000 रुपये देने का वादा शामिल है।
राहुल ने कर्नाटक मॉडल को सराहा
लोकसभा चुनाव के दौरान राहुल गांधी ने पूरे देश में कर्नाटक के फ्री के मॉडल को लेकर खूब प्रचार प्रसार किया। इसके बाद भी कांग्रेस को अपेक्षित लाभ नहीं मिला, दूसरी तरफ कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश में इन योजनाओं के बाद भी अपेक्षित लाभ नहीं मिला। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार कर्नाटक सरकार इन पांच गारंटी को वापस लेने के लिए समीक्षा करने पर विचार कर रही है। ताकि उसे भारी भरकम बोझ से बच सके।
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