
हम महिलायें सिर्फ सुनने और सहने के लिए नहीं बने हैं!
लैंगिक हिंसा और भेदभाव के खिलाफ त्वरित एक्शन होना चाहिए!
महिलाओं को निर्णय लेने वाली भूमिकाओं में अधिक भागीदारी मिलनी चाहिए!
समान काम के लिए समान वेतन महिलाओं का अधिकार है!
8 मार्च 2025, लखनऊ । इनिशिएटिव फाउंडेशन ने आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2025 के अवसर पर लखनऊ के ग्रीन आर्चिड अपार्टमेंट, आशियाना लखनऊ में महिला सशक्तिकरण, स्वास्थ्य अधिकार, लैंगिक समानता और नेतृत्व विकास को बढ़ावा देने के लिए एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया। इस वर्ष की थीम “एक्सीलरेट एक्शन” (Accelerate Action) के अनुरूप, कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य महिलाओं और लड़कियों को सशक्त बनाने के लिए तेजी से और ठोस कार्यवाही सुनिश्चित करना हैं।
इस आयोजन में सामाजिक कार्यकर्ताओं, महिला उद्यमियों, शिक्षाविदों, कानूनी विशेषज्ञों और समुदाय की अग्रणी महिलाओं ने भाग लिया और महिला सशक्तिकरण, स्वास्थ्य अधिकार, समान वेतन और श्रम अधिकारों के लिए त्वरित कार्यान्वयन और ठोस प्रभाव पर चर्चा की।
आज की चर्चा में संस्था की बोर्ड मेंबर श्रीमती शालिनी शुक्ला ने कहा:” महिला सशक्तिकरण केवल चर्चा का विषय नहीं रहना चाहिए, बल्कि इसके लिए हमें त्वरित और ठोस कार्यवाही करनी होगी। महिलाओं को निर्णय लेने वाली भूमिकाओं में अधिक भागीदारी मिलनी चाहिए, ताकि वे नीति निर्धारण में सक्रिय रूप से योगदान दे सकें।”
महिला अधिकार कार्यकर्ता दीप्ति वर्मा जी ने कहा:”लैंगिक हिंसा और असमानता के खिलाफ एक्शन लेने का समय अब है। महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा और उनके कानूनी अधिकारों के प्रति जागरूकता को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।”
उद्यमी एवं समाजसेवी रेनू जी ने कहा: आर्थिक स्वतंत्रता ही महिलाओं का सशक्तिकरण है। जब महिलाएं आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होंगी, तो वे समाज में बड़े बदलाव लाने में सक्षम होंगी। हमें महिलाओं को स्वरोजगार और वित्तीय प्रशिक्षण के लिए अधिक अवसर देने होंगे।”
इनिशिएटिव फाउंडेशन के निदेशक श्री अमित मिश्रा ने कहा:”इस वर्ष की थीम ‘एक्सीलरेट एक्शन’ हमें याद दिलाती है कि सशक्तिकरण के प्रयासों को केवल विचार तक सीमित नहीं रखा जा सकता। हमें इसे वास्तविकता में बदलना होगा। इनिशिएटिव फाउंडेशन इस दिशा में तेजी से कार्य कर रहा है।”
शिक्षाविद और सामाजिक कार्यकर्ता) ने कहा:”महिलाओं को शिक्षा देने के साथ-साथ उन्हें नेतृत्व की ट्रेनिंग भी दी जानी चाहिए। जब महिलाएं नेतृत्व संभालेंगी, तभी समाज में असली बदलाव आएगा।”
स्वास्थ्य अधिकार कार्यकर्ता श्रीमती सुनीता अवस्थी ने कहा:”महिलाओं और किशोरियों का स्वास्थ्य अधिकार, खासतौर पर मासिक धर्म प्रबंधन, प्रजनन स्वास्थ्य और मातृत्व सुरक्षा, सरकार और समाज की प्राथमिकता होनी चाहिए। स्वास्थ्य के बिना सशक्तिकरण संभव नहीं है।”
घरेलू कामगार संगठन से जुड़े सोनी ने कहा:”समान काम के लिए समान वेतन महिलाओं का अधिकार है। लखनऊ और अन्य जगहों पर कामकाजी मजदूर महिलाओं को पुरुषों की तुलना में कम मजदूरी दी जाती है, जो कि लैंगिक भेदभाव का स्पष्ट उदाहरण है। इसे रोकने के लिए सरकार और समाज दोनों को ठोस कदम उठाने होंगे।”
कार्यक्रम में शामिल युवा कार्यकर्ता संध्या मिश्रा ने कहा “हम महिलायें सिर्फ सुनने और सहने के लिए नहीं बने हैं, बल्कि अब हमें अपनी आवाज उठाकर बदलाव लाना होगा। यह कार्यक्रम हमें आत्मनिर्भर बनने और अपने अधिकारों को जानने की प्रेरणा देता है।”
कार्यक्रम के अंत में जागरुकता रैली के माध्यम से हिंसा और लैंगिक हिंसा से बचाव, कानूनी अधिकार, स्वास्थ्य अधिकार, लैंगिक समानता का संदेश दिया गया।
इस अवसर पर प्रथा, नवीन शुक्ला, विमल अवस्थी, प्रवीण शुक्ला, अब्दुल सलाम, सोहैल सहित सामाजिक कार्यकर्ता और वालेंटियर्स मौजूद रहें।