मुरादाबाद। देश के आजादी आंदोलन की गैर समझौतावादी धारा के महानायक एवं महान क्रांतिकारी योद्धा नेताजी सुभाषचंद्र बोस की 128वीं जयंती के अवसर पर 23 जनवरी 2025 को हिन्दू माॅडल इन्टर काॅलेज मुरादाबाद में छात्र संगठन- एआईडीएसओ और महिला संगठन- एआईएमएसएस के संयुक्त तत्वावधान में *जयंती समारोह सह पुरस्कार वितरण कार्यक्रम* आयोजित किया गया। बता दें कि, इसके पहले 19 जनवरी को विभिन्न स्कूल-कॉलेजों के छात्र-छात्राओं के बीच नेताजी सुभाषचंद्र बोस के जीवन संघर्षों पर आधारित जिला स्तरीय क्विज प्रतियोगिता (जूनियर स्तर – कक्षा 6-8 व सीनियर स्तर – कक्षा 9-12 तक) कराई गई थी। जिसका परिणाम घोषित व पुरस्कार वितरण आज 23 जनवरी को नेताजी सुभाषचंद्र बोस जयंती समारोह कार्यक्रम में किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत रश्मि के द्वारा क्रांतिकारी गीत प्रस्तुत करके किया गया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि नेताजी सुभाषचंद्र बोस के सपने को पूरा करने के लिए देश के छात्र नौजवानों को आगे आना होगा। नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने कहा था- *“करोड़ों भारतवासियों के हक में खड़े होकर उनकी मुक्ति की राह पर खुद को कुर्बान कर जाऊंगा, अगर सत्य की कोई कीमत है तो मेरे देशवासी समझेंगे मेरे दिल की बात।”* (अग्नि युग)। क्या इस देश के लोग सचमुच उनके दिल की बात समझ पाए हैं ? सच्चाई की कीमत चुका पाए हैं ? नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने जिस पूंजीवाद साम्राज्यवाद का विरोध करके देश में शोषण विहीन समाज कायम करने का सपना देखा था, आज हम उससे कहीं बहुत दूर हैं। रोटी, कपड़ा, मकान, शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा व सम्मान जैसी मूलभूत जरूरतों से महरूम होकर करोड़ों लोग दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं। जिन छोटे-छोटे नौनिहाल बच्चों को स्कूल जाने, खेलने – कूदने व सीखने और एक अच्छा इंसान बनने के लिए मौका मिलना चाहिए, आज उन्हीं छोटी उम्र के बच्चों को ईंट के भट्टों पर, होटलों, ढाबों और कारखाने में काम करते हुए देखा जाता है। देश में ऐसा ही विकास हुआ है। आजादी के 77 वर्षों बाद भी छात्राएं – महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं। आए दिन रेप, गैंगरेप, हत्या, छेड़छाड़ और घरेलू हिंसा की शिकार हो रही हैं।
नई सामाजिक व्यवस्था
देश की इन विकट परिस्थितियों में नेताजी के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि हमें क्या करने को कहती है ? नेताजी ने कहा था – *” बचपन में अंग्रेजों को देश से बाहर खदेड़ना ही मैं अपना परम कर्तव्य समझता था, बाद में गंभीरता से सोचने पर मैंने समझा कि अंग्रेजों को भगा देने से ही हमारे कर्तव्यों की इतिश्री नहीं हो जाती। एक नई सामाजिक व्यवस्था कायम करने के लिए हिंदुस्तान में एक और क्रांति की जरूरत है। “* (क्रांति क्या है)। नेताजी के सपनों के इस नए सामाजिक व्यवस्था को लागू करने के लिए संघर्ष तेज करने की जरूरत है। साथ ही जरूरत है इस युग के श्रेष्ठ क्रांतिकारी विचारों से लैस हजारों खुदीराम बोस, भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां, मास्टर दा सूर्यसेन, प्रीतिलता की ; जो जनता को सचेत संगठित और नैतिक ताकत से बलिष्ठ बनाकर क्रांतिकारी संघर्षों में शामिल करवाएंगे। इस काम में लगना ही है महान क्रांतिकारी योद्धा नेताजी सुभाषचंद्र बोस के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि।
यह लोग रहे मौजूद
कार्यक्रम की अध्यक्षता- डाॅ. स्वदेश ने किया और संचालन – भावना सिंह व कपिल कुमार ने संयुक्त रूप से किया। कार्यक्रम को मुख्य अतिथि- प्रो. चन्द्रभान सिंह यादव, एआईडीएसओ के राज्य सचिव दिलीप कुमार, दीपा व आशा ने सम्बोधित किए। प्रतियोगिता में जूनियर वर्ग में दिशिता सिंह, सुधांशु व जारा उरुज ने क्रमशः प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान प्राप्त किया। सीनियर वर्ग में अक्सा रियाज, सायला नूर व नैना भगत ने क्रमशः प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान प्राप्त किया। सभी प्रतिभागियों को स्मृति चिन्ह, मेडल, प्रमाणपत्र, और नेताजी की फोटो देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर विजयपाल सिंह (राज्य अध्यक्ष, एआईयूटीयूसी), रामेश्वरी, रंजन नन्दा, हिमांशु, रोहित, पिंकी, रुनू नंदा, उमामा, निशा, विकास, विधान राज आदि मौजूद रहे।
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