लखनऊ। आजादी आंदोलन के विप्लवी महानायक नेताजी सुभाषचंद्र बोस के जयंती के अवसर पर समतावादी सामाजिक समरसता अभियान व पीपुल्स यूनिटी फोरम के संयुक्त तत्वावधान में नेताजी के विचार व सपने विषय पर परिचर्चा का आयोजन हजरतगंज स्थित सी. बी. सिंह स्मृति सभागार में किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी डा. ए. पी. मिश्राा ने व संचालन पीपुल्स यूनिटी फोरम के संयोजक एडवोकेट वीरेंद्र त्रिपाठी ने किया।
कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए समतावादी सामाजिक समरसता अभियान के संयोजक व वरिष्ठ सोशलिस्ट चिंतक विजय श्रीवास्तव ने नेताजी के जीवन संघर्ष पर विस्तृत प्रकाश डालते हुए कहा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस आजादी आंदोलन की गैर समझौता वादी धारा के नेता थे उन्होंने एक तरफ अंग्रेजों को भगाने व साथ ही पूंजीपतियों का राज भी न आए इसके लिए अपने जीवन का बलिदान दिया था वे जब कांग्रेस के अध्यक्ष बने तो उन्होंने अंग्रेजों को देश छोड़कर चले जाने का अल्टीमेटम दिया था जिससे कांग्रेस का समझौता वादी नेतृत्व व साम्राज्यवादी अंग्रेज घबरा गए थे नेताजी सुभाष चंद्र बोस राजनीति में धर्मनिरपेक्ष समाज को लेकर के चल रहे थे उनका कहना था की धर्म व्यक्तिगत आस्था का मामला है उसको राजनीति में नहीं लाना चाहिए लेकिन आज राजनीतिक पार्टियां जनता की एकता को तोड़ने के लिए सांप्रदायिक उन्माद पैदा कर रही है क्योंकि आज बढ़ती हुई महंगाई ने घटते हुए रोजगारों ने आम जनता बहुत ही गहरे संकट से गुजर रही है ऐसी स्थिति में देश का मजदूर और किसान मेहनतकस अपनी समस्याओं को लेकर आंदोलन का रास्ता ना ले सके इसलिए संकीर्ण स्वार्थ में जात-पात सांप्रदायिक उन्माद की घटिया मानसिकता को लाया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि आज आर्दशों का अकाल है और आर्दशों के अकाल के दौर में नेताजी का जीवन संघर्ष हमारे लिए प्रेरणा का स्त्रोत है।विजिल इंडिया अभियान के संयोजक योगेंद्र उपाध्याय ने कहा कि अन्याय व जुल्म का विरोध करना नेताजी के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि है।अध्यक्षीय सम्बोधन में डा. ए.पी. मिश्रा नेे नेताजी के विचारों के प्रचार प्रसार की आवश्यकता पर बल दिया।कार्यक्रम में वरिष्ठ ट्रेड यूनियन नेता के. के. शुक्ला, फारवर्ड ब्लाक के उदय सिंह, आरती सिंह, वरिष्ठ पत्रकार अमोद श्रीवास्तव, ओ पी तिवारी, अशोक मिश्रा, सोशलिस्ट चिंतक ओंकार सिंह, अजय शर्मा सहित अन्य लोगों ने भी अपने विचार रखे।
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