नईदिल्ली: दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए बिगुल बज चुका है। चुनाव आयोग के अनुसार 5 फरवरी को दिल्ली में मतदान होगा, 8 फरवरी को चुनावी परिणाम आएंगे। हालांकि इससे पहले से ही राजनीतिक दल मैदान में उतरकर एक – दूसरे पर जुबानी तीर छोड़ रहे हैं।अब तक कि घेराबंदी को देखा जाए तो मुकाबला त्रिकोणीय होने के आसार हैं। अब देखना है कि बीजेपी-आप और कांग्रेस की लड़ाई में मैदान कौन मारेगा।
पूरे पांच साल आप ने रोया दुखड़ा
पांच साल के कार्यकाल को देखा तो एक बात स्पष्ट नजर आती है कि आप ने काम करने से ज्यादा केंद्र सरकार पर आरोप- प्रत्यारोप लगाने के सिवाय कुछ नहीं किया। बीजेपी से लड़ाई के चक्कर में आप ने अपनी उन योजनाओं पर ध्यान नहीं दिया, जिससे आम जनता सीधे जुड़ी है।मसलन पानी और सफाई। पूरे दिल्ली में टैंकर माफिया का राज चला।जहां एक तरफ आप सरकार शुद्ध पानी देने का दावा करती है, रहीं वही दूसरी ओर लोग पानी खरीदने को मजबूर नजर आए।कुछ ऐसा ही हाल मोहल्ला क्लीनिक का रहा है, कई बड़े घोटाले प्रकाश में आए।
मुख्यमंत्री आवास बनवाना पड़ा महंगा
आप संयोजक अरविंद केजरीवाल जब राजनीति में आए थे तो वह सादगी पूर्ण कार्य करने की प्रतिज्ञा ली थी।लेकिन थोड़े ही दिन में वह अपनी बात को भूलते हुए बड़े वाहनों के काफिले के साथ चलने लगे और अपने ली नए सीएम आवास का निर्माण कराया, वह भी उस समय जब वहां की जनता कोरोना रुपी त्रासदी से जूझ रही थी। अरविंद केजरीवाल के लिए सीएम आवास बनवाना सबसे बड़ी भूल साबित हुई, जिसमें बेहिसाब पैसा लगाया गया,जिसे बीजेपी ने चुनावी मुद्दा बनाया। निश्चित रूप से यह मुद्दा सभी पर भारी पड़ेगा।
कांग्रेस खुलकर मैदान में आई
दिल्ली विधान सभा चुनाव में आप के बाद कांग्रेस ने सबसे पहले अपने उम्मीदवार उतारे।कांग्रेस ने दमदार उम्मीदवारों को मैदान में उतारने के साथ ही उन मुद्दों को पूरे दमदारी से उठा रही है, जिस पर आप जवाब नहीं दे पा रही है। कांग्रेस ने एक तरफ संदीप दीक्षित, अलका लांबा और फरहत सूरी जैसे भरोसे मंद चेहरे से आप की नींद उड़ाई, वहीं बीजेपी ने भी आप के बड़े नेताओं के सामने चुनौती दी है। अब निश्चित रूप से मुकाबला त्रिकोणीय होगा।
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