लखनऊ। लोकसभा चुनाव में शानदार प्रदर्शन के बाद सपा मुखिया अखिलेश यादव अति आत्मविश्वास भरे फैसले करने लगे थे, जिसे उपचुनाव में बीजेपी ने ठंडे बस्ते में डाल दिया। सपा मुखिया लगातार पीडीए वाले फार्मूले से भाजपा को सत्ता से दूर करने की बात करते आ रहे है,लेकिन उनका यह फार्मूला धराशाही हो गया। उपचुनाव में सहयोगी पार्टी कांग्रेस को साथ नहीं लेकर चलने का नतीजा हुआ कि सपा नौ मे से दो सीटों पर जीत गई, जबकि भाजपा ने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर सात सीटों पर कमल खिला दिया। योगी का नारा बंटेगे तो कटेंगे, एक रहेंगे तो सेफ रहेंगे, पहले हरियाणा,फिर यूपी और महाराष्ट्र में सफल होता दिखाई दे रहा है।
खैर सीट पर भाजपा की जीत की हैट्रिक
अलीगढ़ की खैर विधानसभा उपचुनाव में भाजपा के सुरेंद्र दिलेर ने सपा की चारु केन को 38 हजार 393 वोटों से हरा दिया। यहां भाजपा ने जीत की हैट्रिक लगाई है। इसी प्रकार फुलपुर विधानसभा उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी दीपक पटेल ने जीत हासिल की है। उन्होंने सपा के मुज्तबा को हराया है। मिर्जापुर की मझवां विधानसभा सीट पर भाजपा प्रत्याशी शुचिस्मिता मौर्य ने सपा प्रत्याशी डॉ. ज्योति बिंद को 4936 वोटों से हराया है। मुजफ्फरनगर की मीरापुर विधानसभा के उपचुनाव में रालोद प्रत्याशी मिथलेश पाल ने 30426 वोटों के अंतर से सपा की सुम्बुल राणा को हरा दिया है। इसी प्रकार नौ सीटों में से बीजेपी के प्रत्याशियों नेसात पर जीत दर्ज की।
सपा केवल दो सीट बचा पाई
नौ सीटों पर मैदान में उतरी सपा केवल करहल और कानपुर की सीसामउ सीट बचा पाई, जो पूरी तरह मुस्लिम बहुल्य है, यहां से पूर्व विधायक इरफान सोलंकी की पत्नी नसीम सोलंकी ने भाजपा प्रत्याशी सुरेश अवस्थी को हराया। इसी तरह यादव बहुल्य सीट करहल से तेजप्रताप सिंह यादव ने अखिलेश के जीजा भाजपा प्रत्याशी अनुजेश यादव हैं को हराया।
योगी ने जताई जीत पर खुशी
उत्तर प्रदेश के विधानसभा उपचुनाव के नतीजों पर सीएम योगी ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने पोस्ट करते हुए लिखा कि उत्तर प्रदेश के विधानसभा उपचुनावों में भाजपा-एनडीए की विजय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के यशस्वी नेतृत्व एवं मार्गदर्शन पर जनता-जनार्दन के अटूट विश्वास की मुहर है। ये जीत डबल इंजन सरकार की सुरक्षा-सुशासन एवं जन-कल्याणकारी नीतियों तथा समर्पित कार्यकर्ताओं के अथक परिश्रम का सुफल है। उ.प्र. के सुशासन और विकास को अपना मत देने वाले उत्तर प्रदेश के सम्मानित मतदाताओं का आभार एवं सभी विजयी प्रत्याशियों को हार्दिक बधाई। बटेंगे तो कटेंगे। एक रहेंगे-सेफ रहेंगे।
नहीं चला पीडीए का दांव
उपचुनाव के नतीजों से साफ है कि इस बार अखिलेश यादव का पीडीए वाला फार्मूला फेल हो गया। इसके दो प्रमुख कारण है कि एक बसपा का मैदान में उतरने से दलित वोटरों ने सपा से दूरी बना ली। अखिलेश यादव ने कांग्रेस को कमजोर समझकर भाव नहीं दिखा इसका नतीजा फूलपुर समेत कई सीटों पर देखने को मिला। अखिलेश का साथ यादव और मुस्लमानों के अलावा किसी अन्य जातियों ने नहीं दिया। इसलिए अखिलेश को पीडीए की जगह फिर एमवाई के फार्मूले को अपनाना होगा।
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