देश को गुमराह करने की कोशिश : सपा सांसद अवधेश प्रसाद के झूठ को अयोध्या मेयर ने किया बेनकाब

अयोध्या। धर्म नगरी में हुए दीपोत्सव कार्यक्रम में न पहुंचने वाले सपा सांसद अवधेश प्रसाद ने झूठ बोलकर गुमराह करने का प्रयास किया, उनका बयान सामने आने के बाद अयोध्या मेयर ने उनके झूठ को बेनकाब करते हुए कहा कि अयोध्या का जनप्रतिनिधि हाेने के नाते उन्हें निमंत्रण भी भेजा गया था और उनके नाम की कुर्सी भी लगाई गई थी, इसके बाद भी वह झूठ बोल रहे है कि उन्हें निमंत्रण नहीं मिला। दरअसल सपा सांसद ने मीडिया में बयान दिया कि भाजप धार्मिक कार्यक्रमों का राजनीतिकरण करने के लिए उन्हें निमंत्रण पत्र नहीं भेजा। सपा सांसद के बयान का अयाेध्या मेयर ऐसा जवाब दिया कि वह अब कुछ बोल नहीं पा रहे है।

  सपा सांसद ने लगाया आरोप

सपा सांसद बोले कि लोग कह रहे हैं कि मुझे इसलिए नहीं बुलाया कि मीडिया में फिर सिर्फ मेरी चर्चा होती। आयोजक की अनदेखी हो जाती। त्योहारों के राजनीतिकरण से देश की एकता और अखंडता को कमजोर करने का प्रयास किया जा रहा है। हमारी गंगा जमुनी संस्कृति के विपरीत भाजपा काम कर रही है। भाजपा के दीपोत्सव में सिर्फ वही लोग गए जिनको कार्ड दिया गया था। इस कार्यक्रम में किसानों और गरीबों के लिए कोई जगह नहीं थी।

महापौर ने दिया जवाब

सपा सांसद के बयान पर पलटवार करते हुए अयोध्या के मेयर महंत गिरीश पति त्रिपाठी ने कहा कि वह झूठ बोल रहे हैं। उन्हें आमंत्रण पत्र भी भेजा गया था और यहां का जनप्रतिनिधि होने के चलते दीपोत्सव में उनके लिए कुर्सी भी आरक्षित थी। फिर भी वे अपनी तुष्टिकरण की मानसिकता के चलते नहीं आए। महापौर ने कहा कि दीपोत्सव के आध्यात्मिक वैभव को पूरी दुनिया ने देखा। यहां के निर्वाचित जनप्रतिनिधि का दुर्भाग्यपूर्ण व्यवहार निंदनीय है। अयोध्या का प्रतिनिधि होने के नाते उन्हें अपना दायित्व निभाना चाहिए था।

यहां के विकास में सहभागी बनना चाहिए। वह सपा की उस छोटी मानसिकता से नहीं उबर पा रहे हैं, जिसके तहत अयोध्या में कारसेवकों के खून की नदियां बहाई गई थीं। जिस मानसिकता के तहत अयोध्या को विकास से वर्षों तक वंचित रखा गया।

चार से छह घंटे बिजली मिलती थी। सड़कें जर्जर हालत में तब्दील थीं। उनकी पार्टी के शासन में विकास यहां से पलायन कर गया था। इसी मानसिकता से वे बाहर नहीं निकल पा रहे हैं। भगवान उन्हें सद्बुद्धि दें और वह अपने दायित्व के साथ न्याय करें। दीपोत्सव में ना आकर इस आयोजन को समाजवादी पार्टी और भाजपा के खांचे में बांटकर देखना सांसद की घृणित मानसिकता का परिचायक है।

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