लखनऊ: आओ कृष्ण हमारे घर भी माखन रोटी खाओ ।
गोकुल की गैया हैं भूखीं आकर उन्हें चराओ ।।
सबको लगता आओगे तुम और करोगे लीला
सुबह गोपियों की मटकी में मारोगे फ़िर ढीला
मटकी फोड़ कन्हैया प्यारे दही छाछ छलकाओ।
आओ कृष्ण हमारे घर भी माखन रोटी खाओ ।।
गेंद पड़ी है जमुना तीरे, राह तुम्हारी देखे
राहगीर से कहती आओ मुरलीधर को लेके
खेल-खेल कर नदी किनारे सबका मन हर्षाओ ।
आओ कृष्ण हमारे घर भी माखन रोटी खाओ ।।
जमुना जी का जल कहता है मेरे पास न आना
विषधर रहता है जहरीला नंदलला को लाना
नृत्य कालिया के फन पर कर जल को शुद्ध बनाओ।
आओ कृष्ण हमारे घर भी माखन रोटी खाओ ।।
कौआ बैठ मुंडेर पे भूखा राह कान्ह की ताके
सोचे प्रभु की रोटी कोई दे दे हमको लाके
भूख मिटाने काग वृंद की गोपाला आ जाओ ।
आओ कृष्ण हमारे घर भी माखन रोटी खाओ ।।
कडुआहट से भरा हुआ है वन का कोना-कोना
अहंकार की मैली चादर मधुकर आकर धोना
प्रेम जगाने की खातिर बस बंशी मधुर बजाओ।
आओ कृष्ण हमारे घर भी माखन रोटी खाओ ।
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~राम नरेश ‘उज्ज्वल’
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