कारगिल विजय दिवस: जब भारतीय सेना ने पाकिस्तानी घुसपैठियों को मार भगाया था

नईदिल्ली। पाकिस्तान सरकार और वहां की सेना कभी भी भारत के प्रति वफादार नहीं रही है। वह लगातार भारत की शांति में दखलअंदाजी के लिए घुसपैठ और आतंकवाद के जरिए अपने नापाक इरादे जता रहा है। इसी इरादे का नाम है कारगिल युद्ध जब पाकिस्तानी सेना घुसपैठियों के रूप में कारगिल में घुस आई और उन्हें भगाने के लिए भारतीय सैनिकों ने मुंहतोड़ जवाब दिया अंत में पाकिस्तानी घुसपैठियों को भागना पड़ा।

दो मई को पता चला घुसपैठ का

कारगिल में पाकिस्तानियों के घुसपैठ की जानकारी दो मई 1999 को उस समय हुई जब एक चरवाहे का याक खो गया और वह अपने याक की तलाश में पहाड़ियों पर भटक रहा था, इसी दौरान उसकी नजर पहाड़ियों में छिपे घुसपैठियों पर पड़ी। उसने इसकी जानकारी आकर सेना के जवानों को दी, इसके बाद भारतीय सेना ने मोर्चा संभाला और घुसपैठियों को भगाने के लिए लंबी और दुरूह लड़ाई।

19 मई को कारगिल युद्ध की आधिकारिक तौर पर शुरुआत हुई। द्रास सेक्टर पर अपने इलाके को कब्जे में लेने के लिए इस ऑपरेशन की शुरुआत हुई। दुश्मन ऊंची चोटियों पर बैठा था। हमारी सेना को खड़ी चढ़ाई चढ़नी थी। उसके लिए दुश्मन के निशाने से बचना मुश्किल था। इसके बाद तोलोलिन पहाड़ी से लेकर टाइगर हिल तक हर पोस्ट पर हमारे शूरवीरों ने न सिर्फ कब्जा किया बल्कि पाकिस्तानी सैनिकों को मार खदेड़ा। भारतीय सेना की बोफोर्स तोप ने अपने दम पर युद्ध का रुख बदला था।

नौ सेना ने तोड़ी पाकिस्तान की कमर

घुसपैठियों को मार भगाने के लिए नौ सेना ने ऑपरेशन ‘तलवार’ शुरू किया। इसके तहत वेस्टर्न नेवल कमांड और साउदर्न नेवल कमांड ने अरब सागर में पाकिस्तान पर नेवल ब्लॉकेज लगा दिया। इस ब्लॉकेज की वजह से पाकिस्तान में पेट्रोलियम की सप्लाई तक बंद हो गई। हालात यह हो गई उसके पास महज छह दिन का पेट्रोलियम बचा था। हर ओर से घिरे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ मदद के लिए अमेरिका पहुंच गए। एक ओर शरीफ अमेरिका से मदद मांग रहे थे, दूसरी ओर परवेज मुशर्रफ चीन से मदद की गुहार लगा रहे थे।

इसी दौरान मुशर्रफ ने माना था कि उनकी सेना भारतीय इलाके में घुसी हुई है। मुशर्रफ की यह बात भारत ने इंटरसेप्ट करके सार्वजानिक कर दी। इस खुलासे के साथ पाकिस्तान की पूरी साजिश दुनिया के सामने आ गई। 14 जुलाई को भारत ने कहा कि हमारा ऑपरेशन सफल हो गया है। इसके बाद भारतीय सेना ने हर चौकी को पूरी तरह से मुक्त कराया और 26 जुलाई को सेना ने युद्ध खत्म होने का एलान किया।

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