सरकार के फैसले से बवाल: संतों ने किया साथ, ओवैसी और ​कपिल सिब्बल ने सरकार को घेरा

102
Om Prakash Rajbhar said, Mulayam government had made the rule of name plates on shops during Kanwar Yatra.
अखिलेश यादव यह भी भूल जा रहे हैं कि वह अपने पिता के ही बनाये कानून का ही अंततः विरोध कर रहे हैं।

लखनऊ । प्रदेश में सरकार के एक आदेश से बवाल मचा हुआ, विपक्ष इसे लेकर सरकार को घेरने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती, वहीं सरकार के इस फैसले का संतों का समर्थन मिल रहा है। सपा के पूर्वा सांसद एमटीहसन इसे हिन्दू मुस्लिम को बांटकर उपचुनाव में फायदा लेने की रणनीति बता रहे है तो कोई इससे समाज की खाई बड़ी करने का जरिया बता रहा है। सबसे ज्यादा दिक्कत कांवड़ मार्ग के दुकानदारों को है। बहुत से दुकानदार अपनी दुकान किराए पर दे रहे है तो कुछ हिंदुओं को साझेदार बना रहे है। कुछ ने तो एक माह के लिए दुकान बंद करने का निर्णय ले लिया है। वहीं इस मामले में मथुरा में एक धर्मसभा हुई जिसमें सरकार के इस फैसल का स्वागत किया गया।

पूरे देश में लागू करने की मांग

धर्म रक्षा संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष सौरभ गौड़ ने बताया कि यूपी की तरह पूरे भारत में फल-सब्जी की दुकानों पर होटल-ढाबों, भोजनालयों एवं व्यापारिक स्थलों पर दुकान का पूरा नाम एवं मालिक का नाम अनिवार्य रूप से लिखने का नियम लागू होना चाहिए। उन्होंने कहा कि संपूर्ण उत्तर प्रदेश में घनश्याम हो या इमरान सबको लिखना होगा नाम।

हनुमान टेकरी के अधिकारी महंत दशरथ दास महाराज ने कहा कि मुख्यमंत्री का नाम लिखने वाला निर्णय स्वागत योग्य है। स्वामी सत्यमित्रानंद महाराज ने कहा कि दुकानों पर सिर्फ नाम लिखने से काम नहीं चलेगा, बल्कि साथ में दुकान मालिक का आधार कार्ड भी लगाया जाना चाहिए। धर्म रक्षा संघ के मार्गदर्शक महंत मोहिनी बिहारी शरण, स्वामी डॉ. आदित्यानंद महाराज, महंत देवानंद परमहंस, महंत शिव बालक दास, राष्ट्रीय महामंत्री श्रीदास प्रजापति, सुशैन आनंद, महंत मोहनदास, महंत नृसिंहदास, महंत कृष्णदास आदि उपस्थित रहे।

ओवैसी ने यूपी सरकार को घेरा

अखिलेश यादव, मायावती के बाद एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इस मामले में सरकार को घेर है। उन्होंने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा, ‘यूपी के कांवड़ मार्गों पर खौफ, यह भारतीय मुसलमानों के प्रति नफरत की वास्तविकता है। इस नफरत का श्रेय राजनीतिक दलों/हिंदूवादी नेताओं और तथाकथित धर्मनिरपेक्ष पार्टियों को जाता है।वहीं कपिल सिब्बल ने भी एक्स अकाउंट पर लिखा, ‘यूपी में सड़क किनारे ठेलों और भोजनालयों को मालिकों के नाम प्रदर्शित करने का निर्देश दिया गया है। क्या यह ‘विकसित भारत’ का रास्ता है। विभाजनकारी एजेंडे से देश बंटेगा’।

इसे भी पढ़ें..

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here