यूपी में पार्टी की फजीहत पर जेपी नड्डा से मिले भूपेंद्र चौधरी, अयोध्या-वाराणसी के परिणाम पर हुई चर्चा

80
Bhupendra Chaudhary met JP Nadda on the party's troubles in UP, discussed the results of Ayodhya-Varanasi
बीजेपी ने अयोध्या के विकास में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी, इसके बाद उसे वहां हार का मुंह देखना पड़ा।

लखनऊ। लोकसभा चुनाव में अच्छी फीजा होने के बाद मिली करारी हार के बाद बीजेपी हाईकमान उन कमियों को दूर करने के लिए शिदृत से मंथन कर रहा है। इसी को लेकर शनिवार राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने यूपी के प्रदेश अध्यक्ष चौधरी भूपेंद्र सिंह को दिल्ली तलब करके अयोध्या में मिली हार और वाराणसी में मोदी के जीत के अंतर में आई कमी पर जवाब तलब किया। भूपेन्द्र चौधरी ने राष्ट्रीय अध्यक्ष नड्डा के सामने सफाई पेश की। उन्होंने हार के कारणों को विस्तार से बताया। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार उन्होंने पार्टी के हार की नैतिक जिम्मेदारी तेले हुए कमियां बताई। 35 मिनट तक दोनों ने नेताओं के बीच चुनाव परिणामों को लेकर हुई गंभीर चर्चा के बाद अब कयास लगाया जा रहा है कि जल्द ही बड़े बदलाव हो सकते है।

अयोध्या हार से हुई फजीहत

बीजेपी ने अयोध्या के विकास में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी, इसके बाद उसे वहां हार का मुंह देखना पड़ा। इससे पार्टी की काफी फजीहत हुई। वहीं इस बार 80 सीटों का लक्ष्य लेकर चल रही भाजपा को मात्र 33 सीटों से ही संतोष करना पड़ा। पिछली बार से इस बार 29 सीटों को नुकसान उठाना पड़ा है। इस अप्रत्याशित परिणाम से भाजपा हाईकमान को गहरा झटका लगा हैं। अब पार्टी लापरवाह और हार की कारण बने जिम्मेदारों पर कार्रवाई करने की तैयारी में है। शीर्ष नेतृत्व के निर्देश पर ही प्रदेश संगठन ने एक सप्ताह से 40 लोगों की टीम को हर लोकसभा क्षेत्र में हार की पड़ताल करने के लिए भेजा गया थी। खुद प्रदेश अध्यक्ष भी अयोध्या समेत कई स्थानों पर गए थे। इसके अलावा वह क्षेत्रीय संगठनों के साथ बैठकें करके बारीकी से हार के कारणों को जानने की कोशिश की थी ।

यह मुदृदे आए सामने

पार्टी मुख्यालय में दोनों नेताओं के बीच सबसे अधिक चर्चा अयोध्या की हार और वाराणसी में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जीत का अंतर कम होने के लेकर हुई। बताया जा रहा है कि प्रदेश अध्यक्ष ने हार के बारे में जो फीडबैक दिया है, उसमें नौकरशाही के मनमानी के साथ ही मतदाता सूची में गड़बड़ी के अलावा संविधान बदलने और आरक्षण खत्म करने जैसे तमाम कारणों को जिम्मेदार बताया गया है। माना जा रहा है कि भाजपा का शीर्ष नेतृत्व 15 जुलाई के बाद संगठन में बदलाव कर सकता है।

इसे भी पढ़ें…

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here