लखनऊ। लोकसभा चुनाव 2024 में शुरूआत से ही बीजेपी अपने आप को विजेता मानकर चल रही थी, इसी वजह से पीएम मोदी ने अबकी बार चार सौ पार का नारा दिया था। लेकिन यूपी में कमजोर संगठन और टिकट बंटवारे में मनमानी ने बीजेपी की नैया डूबी, जो पार्टी 2019 में यूपी बंपर जीत दर्ज की थी, इस बार मिशन 80 पर काम कर रही थी, लेकिन पार्टी का सपना साकार नहीं हो पाया। नतीजा यह हुआ कि इस बार पार्टी आधे से ज्यादा सीटों पर सिमट गई।
आंकड़ों पर नजर डाले तो इस बार न तो भाजपा संगठन की तैयारी कारगर रही और न ही मतदाताओं पर सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का ही असर हुआ। दरअसल बीजेपी नेताओं के बड़बोलेपन की वजह से मुस्लिम जमात ने सपा को एक तरफा वोट दिया, इसके साथ ही
सपा ने जातीय समीकरण को ध्यान में रखकर टिकट बंटवारा करके हिंदुओं के वोट का भी बंटवारा करके 38 सीटों पर जीत दर्ज करके बीजेपी को मात दिया ।
टिकट बंटवारे में मनमानी
यूपी में इतने खराब प्रदर्शन के लिए सबसे अधिक जिम्मेदार पार्टी के ही बड़े नेताओं का अति आत्मविश्वास है और आत्ममुग्धता रही। इसके साथ ही पीएम मोदी द्वारा अबकी बार 400 पार के नारे ने जिम्मेदारों को अतिउत्साह से भर दिया, जिसे चाहा उसे टिकट दे दिया। कई सांसदों ने इसी उत्साह में कुछ ऐसे बयान दे दिए जिससे जनता नाराज हो गई, इस वजह से बीजेपी प्रत्याशियों को हराने के लिए वोट दिया जैसे प्रतापगढ़, कौशांबी और आंवला की हार इसी वजह से हुई। प्रतापगढ़ में राजा भैया ने खुलेआम बीजेपी प्रत्याशी के खिलाफ वोट करने की अपील की। जिसका नतीजा यह हुआ कि आसपास की कई सीटें बीजेपी के हाथ से निकल गई।
26 मौजूदा सांसदों की हार बड़ा संदेश
भाजपा के लिए 26 मौजूदा सांसदों की हार को भी भाजपा के लिए बड़ा संदेश माना जा रहा है। मनमाने ढंग से टिकट बंटवारे का भाजपा को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है। टिकट बांटने के जिम्मेदारों ने अधिकांश सांसदों के खिलाफ स्थानीय स्तर पर जनता के बीच उभरे असंतोष को समझे बैगर मैदान में उतरने की वजह से सात केंद्रीय मंत्रियों समेत कुल 26 मौजूदा सांसदों को सीट गंवानी पड़ी है।चुनाव परिणाम के मुताबिक पार्टी के बड़े नेताओं के घरों में भी भाजपा पस्त हुई है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह जैसे बड़े नेताओं के जीत की मार्जिन में भारी कमी आई है।
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