लखनऊ। विकास के मुद्दे पर शुरू लोकसभा चुनाव अब जातिवाद के ध्रुवीकरण में फंसता नजर आ रहा है। अब किसी को किसी विकास, रोजगार या नौकरी की जरूरत नहीं हैं। अब हर कोई जातिवाद का झंडा बुलंद करने में जुटा है। पहले, दुसरे और तीसरे चरण के मतदान की तरह इस बार भी लोग नेताओं की गुगली में फंसते रहे है। जहां विपक्ष मुस्लिम आरक्षण को हवा दे रहा है वहीं पक्ष हिंदू कार्ड खेलकर मतदाताओं को अब अपने पाले में करने में जुटा है। एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच में फंसी बसपा सरीखी राजनीति पार्टियां ही अब लोकसभा चुनाव में निर्णायक भूमिका में नजर आ रही है। बात करें यूपी की तो यहां बसपा के वोटरों यदि बिखराव नहीं हुआ तो बड़ा खेला हो सकता है। वहीं यदि पिछले चुनाव की तरफ बसपा के मतदाताओं का बीजेपी की ओर झुकाव हुआ तो इंडिया गठबंधन का नुकसान संभव है।
बसपा लड़ाई से बाहर
यूपी की दस सीटों पर हुए मतदान में यह स्पष्ट हो गया कि बसपा लड़ाई से लड़ाई से बाहर होती नजर आ रही है। दरअसल जब भी ऐसी स्थिति बनती है तो बसपा के मतदाता सपा से ज्यादा भाजपा पर भरोसा करते है। मंगलवार को हुए मतदान में हिंदू— मुस्लमान के बंटवारे के साथ मतदान हुआ। जहां मुस्लिम बहुल्य सीटों मतदाताओं की भीड़ कम दिखी, वहीं हिंदू बहुल्य सीट पर मतदाता अपेक्षाकृत कम लोग निकले। मुस्लिम मतदाता कई केंद्रों पर सपा के पक्ष में खड़े दिखे, जबकि बसपा प्रत्याशी मुस्लिम होने के बावजूद उन्हें अपनी ओर अपेक्षानुरूप रिझा नहीं सके।
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