मैनपुरी। लोकसभा चुनाव के लिए सपा प्रमुख ने सबसे सबसे पहले 16 सीटों पर उम्मीदवार घोषित किए,लेकिन परिवार के मोह से उबर नहीं पाए, दूसरी पार्टियां जहां आम कार्यकर्ताओं को टिकट देकर उत्साहवर्धन करतीं है, वहीं सपा अपने गढ़ में केवल परिवार के सदस्यों को टिकट देकर अपने परिवार की इमेज चमकाने में जुटी है। इससे उस सीट के कार्यकर्ता आजीवन कार्यकर्ता ही बनकर रह जाएंगे, नेता बनने का उन्हें मौका नहीं मिलेगा, सपा का यह लालच उसे इस बार ले डूबेगा, जिसकी बानगी मैनपुरी में देखने को मिली। जैसे ही अखिलेश यादव ने डिंपल यादव को यहां से उम्मीदवार घोषित किया, यहां के उनके सबसे बड़े समर्थक मनोज यादव ने परिवार वाद का आरोप लगाकर पार्टी से इस्तीफा दे दिया।
पारिवारिक गुटबाजी को बताई वजह
सपा छोड़ने वाले मनोज यादव देश की बड़ी कंस्ट्रक्शन कंपनियों में शामिल राज कॉर्पोरेशन लिमिटेड के मालिक हैं। उन्हें सपा प्रमुख अखिलेश यादव का बेहद करीबी माना जाता हैं। उन्होंने कहा कि सपा में पारिवारिक विवाद के साथ ही गुटबाजी बढ़ गई है। नेता एक दूसरे की टांग खींचने में लगे हुए हैं। इससे आहत होकर वे सपा का दामन छोड़ रहे हैं। सूत्रों के अनुसार सपा प्रमुख ने उन्हें इस बार यहां से टिकट देने का वादा किया था, लेकिन इस बार भी पत्नी को उतार दिया, इसलिए उन्हें पार्टी को अलविदा कह दिया। सूत्रों के अनुसार बीजेपी उन्हें डिंपल के खिलाफ मैदान में उतार सकती है।
भाजपा की तरफ झुकाव
सपा से इस्तीफा देने के बाद उनका झुकाव बीजेपी की ओर स्पष्ट रूप से दिखाई दिया, उन्होंने मोदी सरकार में हो रहे कार्यों की भी तारीफ की। मनोज यादव अखिलेश यादव के बेहद करीबी माने जाते हैं। साथ ही दिसंबर 2022 में मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद मैनपुरी लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में भी उन्होंने डिंपल यादव की मदद की थी। मनोज यादव सपा के टिकट पर घिरोर से ब्लॉक प्रमुख भी रह चुके हैं। यूपी की राजनीति के जानकार ने बताया कि इस बार अखिलेश यादव को टिकट बंटवारे के दौरान सबसे ज्यादा विरोध झेलना पड़ेगा। आशंका जताई कि सपा प्रमुख की महत्वााकांक्षा इस बार उन्हें ले डुबेगी। पूरे प्रदेश में वह अपने हिसाब से प्रत्याशी घोषित करेंगे यहीं उनकी हार की वजह बनेगी। बसपा, भाजपा के साथ ही संभवत: कांग्रेस भी चुनाव लड़ेगी, इसके अलावा सपा और कांग्रेस के बागी भी मैदान में उतरेंगे।
इसे भी पढ़ें…