नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती के अवसर पर सोशलिस्ट फाऊंडेशन द्वारा आज का साम्राज्यवाद और इसके बढते खतरे ” विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया गया।

लखनऊ। नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 127 वीं जयंती -23 जनवरी (2024 ) के अवसर पर सोशलिस्ट फाऊंडेशन द्वारा ऑनलाइन (गूगल ) पर “आज का साम्राज्यवाद और इसके बढते खतरे ” विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया गया। परिचर्चा का आरंभ करते हुए सोशलिस्ट फाऊंडेशन के संस्थापक -अध्यक्ष श्री रामकिशोर , एडवोकेट ने कहा कि आज पूरा देश और विश्व में जहां-जहां भी भारतीय हैं वे नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्म दिन मना रहे हैं । 127 वर्ष पूर्व सन् 1897 में आज ही के दिन , दिन के 12:15 पर सुभाष चंद्र बोस का जन्म हुआ था और वे जीवन भर मध्यान्ह के सूर्य की भांति चमकते रहे । भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इस बेजोड़ सेनानी का 48 वर्षीय विप्लवी जीवन बेजोड़ था । कोई इतिहास पढ़ता है , कोई इतिहास लिखता है ,और कोई इतिहास बनाता है । नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने इतिहास की सृष्टि की है ।
भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के साथ नेताजी इस प्रकार जुड़े हुए हैं कि उनके उल्लेख के बिना भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की कहानी की कल्पना भी नहीं की जा सकती ।
रामकिशोर जी ने आगे कहा ” नेताजी सुभाष चंद्र बोस साम्राज्यवाद के सबसे बड़े दुश्मन थे । आज अमरीका विश्व का सबसे बड़ा साम्राज्यवादी देश बना हुआ है । वास्तव में नेताजी इस बात को बहुत पहले ही समझ गए थे । विदेश से स्वाधीनता की अंतिम लड़ाई लड़ते समय उन्होंने सन् 1944 में गांधी जी को एक खुली चिट्ठी लिखी थी । यह वही समय था जब अंग्रेजी -अमरीकी फौज एक्सिस पावर के विरुद्ध भीषण लड़ाई लड़ रही थी और द्वितीय विश्व युद्ध अपने अंतिम चरण की ओर बढ़ रहा था । इस चिट्ठी में नेताजी ने लिखा था –” यदि मित्र राष्ट्र किसी तरह युद्ध जीत जाते हैं तो ब्रिटेन नहीं संयुक्त राज्य अमरीका भविष्य में शिखर पर होगा और इसका अर्थ होगा कि ब्रिटेन अमरीका का आश्रित बन जाएगा ।”
नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने अपने पत्र में आगे लिखा था –” मैं कह सकता हूं कि वाशिंगटन का शासक वर्ग अब विश्व प्रभुत्व का सपना देख रहा है । यह शासक वर्ग और इसके बुद्धिजीवी विचारक खुले आम अमरीकी शताब्दी का बखान करते हैं । इसका मतलब है कि वर्तमान शताब्दी में अमरीका का विश्व पर प्रभुत्व होगा । इस शासक में कुछ ऐसे अतिवादी हैं जो ब्रिटेन को अमेरिका का 49 हुआ राज्य तक कह रहे हैं । ”
अपने हरिपुरा कांग्रेस के अध्यक्षीय भाषण में भी नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने कहा था — ” हमारी लड़ाई सिर्फ ब्रिटिश साम्राज्यवाद के विरुद्ध नहीं है वरन् विश्व साम्राज्यवाद के विरुद्ध भी है । ”
रामकिशोर जी ने कहा कि आज विश्व का भूगोल काफी बदल गया है , परिस्थितियां बदल गई है , हालात बदल गए हैं , साम्राज्यवाद का रूप बदल गया है , चेहरे बदल गए हैं , उसकी क्रूरता ने लिबास बदल लिए हैं ।
मुख्य वक्ता ऑल इंडिया वर्कर्स काउंसिल के अध्यक्ष साथी ओ.पी. सिन्हा ने विस्तार से साम्राज्यवाद के स्वरूप , उसकी कार्य प्रणाली पर प्रकाश डालते हुए वर्तमान समय में उसके खतरों की ओर इंगित किया और सावधान रहने का आग्रह किया ।
साथी ओ . पी. सिन्हा ने बताया कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस किन विचारों से प्रभावित थे , किन दार्शनिकों का उनके विचारों पर प्रभाव परिलक्षित होता है , नेताजी की चिन्तन शैली कैसे विकसित हुई और उन्होंने अपनी स्पष्ट सोच के साथ साम्राज्यवाद के विरुद्ध संघर्ष करने की रणनीति और दुनिया से उसे समाप्त करने की योजना बनाई ।
वरिष्ठ सोशलिस्ट चिंतक एवं विचारक साथी शाहनवाज कादरी ने बताया कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस साम्राज्यवाद के प्रमुख आधार , सांप्रदायिकता के घनघोर विरोधी थे । उन्होंने कहा कि नेताजी ने आजाद हिंद फौज में मुसलमानों को महत्वपूर्ण और मुख्य भूमिका दी थी ।
परिचर्चा में उर्दू साहित्य के महत्वपूर्ण हस्ताक्षर ज़नाब असगर मेहंदी ने कहा कि नेताजी दुनिया से साम्राज्यवाद को जड़ से उखाड़ फेंकने का संकल्प लेने वाले नेताओं में अग्रणी थे ।ऑल इंडिया फारवर्ड ब्लाक के प्रदेश महामंत्री साथी उदयनाथ सिंह ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस के व्यक्तित्व एवं विचारों के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला ।
कार्यक्रम में अन्य लोगों के अतिरिक्त सिटीजंस फॉर डेमोक्रेसी की प्रदेश इकाई के संयोजक मंडल के सदस्य श्री प्रभात कुमार , एडवोकेट , सुप्रसिद्ध एवं प्रतिष्ठित
लोकतंत्र सेनानी , सिटीजंस फॉर डेमोक्रेसी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री राम सरन ,सुप्रसिद्ध कवि , जन संस्कृति मंच उत्तर प्रदेश के कार्यकारी अध्यक्ष श्री कौशल किशोर , सुप्रसिद्ध साहित्यकार श्री राजा सिंह , पी. यू.सी. एल. की उत्तर प्रदेश इकाई के पूर्व मंत्री साथी आलोक अग्निहोत्री , पीपुल्स यूनिटी फोरम के संयोजक श्री वीरेंद्र त्रिपाठी , एडवोकेट , शहीद स्मृति मंच के अध्यक्ष श्री जयप्रकाश , एडवोकेट , जयपुर से सुप्रसिद्ध कवि एवं सोशलिस्ट चिंतक श्री शैलेंद्र अवस्थी , सुप्रसिद्ध पर्यावरणविद् , प्रगतिशील विचारक श्री अजय शर्मा , गांधी स्मारक निधि के मंत्री श्री लाल बहादुर राय ,उन्नाव के गांधीवादी चिंतक श्री अशोक , गांधीवादी चिंतक और विचारक सुश्री पुतुल , महिला मोर्चा की संयोजक सुश्री लता राय , जनवादी चिंतक श्री सुरेंद्र कुमार , प्रगतिशील विचारक एवं चिंतक डॉक्टर नरेश कुमार , जनवादी विश्लेषक श्री विपिन त्रिपाठी ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।

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