नई दिल्ली। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगलवार को शीतकालीन के दूसरे दिन देश की पहली जातिगत आधािरत जनगणना के आंकड़े विधानसभा में रखें। इस दौरान वह सरकार की उपलब्धियां गिनाते- गिनाते कई ऐसी कमियां गिना गए जो शायद उन्होंने सोचा भी नहीं होगा कि उसका यह अर्थ निकलेगा। बता दें कि नीतीश कुमार 2005 से बिहार में सीएम की कुर्सी से चिपके हुए ऐसे में 7 नवंबर 2023 में उनके द्वारा बयान दिया जाता है कि बिहार का हर तीसरा व्यक्ति मात्र छह हजार रुपये कमा पाता हैं।आंकड़ों पर नजर डाले तो बिहार के चालीस लाख लोग पलायन करते है।
ऐसे में देश की जनता यह समझ नहीं पा रही है, कि नीतीश कुमार अपनी कामयाबी गिना रहे है या बिहार बदकिश्मती जो लगभग दो दशक बिहार पर शासन करने के बाद भी वहां के लोगों के जीवन स्तर को उठा नहीं पाया। आज भी रोजगार की तलाश में घर छोड़ने वाले सबसे ज्यादा लोग बिहार के हैं। क्योंकि बिहार में रोजगार के साधन नहीं इसलिए मजबूरी में पलायन करना पड़ता हैं। पूरे देश में पलायन की वजह से बिहारियों का मजाक उड़ता हैं।
किसी बात को कहने के कई तरीके होते हैं, लेकिन नीतीश जी यह सबसे गंदा तरीका है pic.twitter.com/NAnJFMQzbf
— Divya Tripathi Mam (@Divya_trpathi) November 7, 2023
वादों की घुटी से भरते है पेट
हर चुनाव में राजनीितक दल बिहािरयों को एेसी वादों की घुटी पिलाते है कि मानों उनकी अब गरीबी पूरी तरह से दूर हो जाएगी, लेकिन यह चुनाव- दर चुनाव चलता आ रहा हैं, लेिकन बिहारियों की स्थिति में कोई बदलाव नहीं हुआ। हर चुनाव में बिहारी घर पहुंचकर वोट डालते है कि शायद इस बार कोई काम कराने वाली सरकार आएगी, लेकिन हर बार जुआड़ लगाकर सत्ता कुर्सी से चिपके रहने वाले नीतीश कुमार कुछ कमाल नहीं कर सकें। बिहार का उद्धार न कर पाने वाले नीतीश कुमार इन दिनों की देश की किस्मत बदलने के लिए राजनीित कर रहे हैं। यह तो वक्त ही बताएगा कि उनका प्रयास देश के लिए कितना सार्थक होगा।
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