एफएआई ने स्थायी उर्वरकों और कृषि पर आयोजित किया 60वां सालाना सेमिनार

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FAI organizes 60th annual seminar on sustainable fertilizers and agriculture
दिग्गज कृषि एवं उर्वरक सेक्टर के स्थायी विकास के लिए महत्वपूर्ण रणनीतियों पर विचार-विमर्श करेंगे।

बिजनेस डेस्क, लखनऊ: फर्टीलाइज़र एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एफएआई) के 60वें सालाना सेमिनार की शुरूआत आज नई दिल्ली के होटल अंदाज़ में हुई, जिसका विषय है ‘सस्टेनेबल फर्टीलाइज़र एण्ड एग्रीकल्चर’ यानि स्थायी उर्वरक एवं कृषि। 4 से 6 दिसम्बर को आयोजित इस सेमिनार में 1400 से अधिक प्रतिनिधि एकजुट हुए हैं, जिनमें उद्योग जगत के दिग्गज, सरकारी अधिकारी एवं अन्य हितधारक शामिल हैं। ये सभी दिग्गज कृषि एवं उर्वरक सेक्टर के स्थायी विकास के लिए महत्वपूर्ण रणनीतियों पर विचार-विमर्श करेंगे।

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री

भारत सरकार में रसायन एवं उर्वरक तथा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री अनुप्रिया पटेल ने स्थायी कृषि के लिए सरकार की प्रतिबद्धता की पुष्टि की। उन्होंने कृषि की उत्पादकता बढ़़ाने और पर्यावरण पर प्रभाव को कम करने के लिए उर्वरकों के प्रभावी उपयोग और आधुनिक तकनीकों के महत्व पर ज़ोर दिया। ‘भारत में कृषि क्षेत्र के दीर्घकालिक विकास के लिए स्थायित्व एवं तकनीकी इनोवेशन अनिवार्य हैं।’ सेमिनार के दौरान भारत सरकार में केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक तथा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने विशेष वीडियो संदेश दिया। हालांकि वे कार्यक्रम में अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं कर सके, किंतु उन्होंने वीडियो संदेश के ज़रिए आयोजन को अपना पूर्ण समर्थन दिया।

कच्चे माल की आ​पूर्ति

सेमिनार को सम्बोधित करते हुए उन्होंने उर्वरक सेक्टर में स्थायी प्रथाओं तथा कच्चे माल एवं तैयार उत्पादों के विश्वस्तरीय आपूर्तिकर्ताओं के साथ साझेदारी के महत्व पर ज़ोर दिया। उन्होंने कहा कि इस तरह की साझेदारियां और स्थायी प्रथाएं लम्बी दौड़ में कृषि के विकास की दिशा में भारत के लक्ष्यों को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। एफएआई के चेयरमैन एन. सुरेश कृष्णन ने कार्बन फुटप्रिन्ट को कम करने, उर्जा दक्षता में सुधार लाने तथा यूरिया निम्रण क्षमता बढ़ाने में उर्वरक उद्योग की प्रगति पर रोशनी डाली। उन्होंने आधुनिक उत्पादों और सरकारी नीतियों के द्वारा विश्वस्तरीय उर्वरक बाज़ार में भारत की बढ़ती भूमिका पर भी विचार रखे।

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