सेट्रल फार प्रोटेक्शन आफ डेमोक्रेटिक राइट्स एंड सेक्यूलरिज्म का राष्ट्रीय सम्मेलन 10 दिसम्बर को

  • अभिव्यक्ति की स्वतत्रता, प्रेस की स्वतत्रता और संगठित होने की स्वतत्रता खतरे में हैं।

लखनऊ । पीपुल्स यूनिटी फोरम व सेट्रल फार प्रोटेक्शन आफ डेमोक्रेटिक राइट्स एंड सेक्यूलरिज्म के संयुक्त तत्वावधान में लोकतंत्र में नागरिक संगठनों की भूमिका विषय पर संगोष्ठी का आयोजन हजरतगंज स्थित सीबी सिंह स्मृति हाल में किया गया। संगोष्ठी की अध्यक्षता सोशलिस्ट चिंतक श्री रामकिशोर ने व संचालन एडवोकेट वीरेंद्र त्रिपाठी ने किया।
संगोष्ठी को मुख्य वक्ता के रूप में सेट्रल फार प्रोटेक्शन आफ डेमोक्रेटिक राइट्स एंड सेक्यूलरिज्म (सीपीडीआरएस) के राष्ट्रीय पदाधिकारी द्वारिका नाथ रथ ने सम्बोधित करते हुए कहा कि हमारे देश में हर घंटे और हर दिन हर क्षेत्र में मानवाधिकारों का उल्लंघन हो रहा है।

दुष्कर्म की घटनाओं में वृद्धि

महिलाओं और बच्चों के साथ बलात्कार एक आम घटना बन गई है। उन्होंने कहा कि मानवाधिकारों और लोकतांत्रिक अधिकारों से वंचित लोग राज्य के आलोचक बनते जा रहे हैं और न्याय की मांग कर रहे हैं। लोगों का यह आक्रोश ज्वालामुखी की तरह फट सकता है। उन्होंने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि भारत की वैश्विक छवि खराब मानवाधिकार सूचकांक के कारण धूमिल हो गई है। दुनिया के विभिन्न मानवाधिकार संगठनों जैसे कि संयुक्त राष्ट्र संघ के अनुसार, 2023 के ह्यूमन फ्रीडम इंडेक्स में भारत 165 देशों में 109 वें स्थान पर है।

एडवोकेट वीरेंद्र त्रिपाठी ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतत्रता, प्रेस की स्वतत्रता और संगठित होने की स्वतत्रता खतरे में हैं। नागरिकों की आवाज को दबाने का हर सभव प्रयास किया जा रहा है। लोग सीबीआई जांच, ईडी छापे और यूएपीए, एनएसए और जन सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) के तहत गिरफ्तारियों के डर से बोलने से डरते हैं।

मानवाधिकारों पर हमले खतरनाक

वालेन्द्र कटियार ने कहा कि वर्तमान स्थिति में जब मानवाधिकारों पर हमले खतरनाक रूप से बढ रहे हैं, तो राष्ट्रीय स्तर पर सीपीडीआरएस को पुर्नजीवित करना और लोगों के कानूनी और विभिन्न मुद्दों को उठाना आवश्यक हो गया है। इस उद्देश्य से, 10 दिसम्बर, 2024 को नई दिल्ली के गांधी शांति प्रतिष्ठान हॉल में एक राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया जायेगा, जिसमें एडवोकेट, जजेज, कानूनविद, सामाजिक कार्यकर्ता भाग लेंगें। उन्होंने सभी लोगों से सम्मेलन में शामिल होने की अपील किया।अध्यक्षीय सम्बोधन में श्री रामकिशोर ने कहा कि आहत नागरिकों के संघर्षों को न्याय की दिशा में आगे बढ़ाने और उनके लोकतांत्रिक व नागरिक अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए, हमें लोकतांत्रिक और नागरिक अधिकार संगठनों का विकास करना होगा जो नागरिकों के लोकतांत्रिक व संवैधानिक अधिकारों के लिए सही दिशा में संघर्ष करें।

संगोष्ठी में देवेंद्र वर्मा, के. के. शुक्ला, एडवोकेट जय प्रकाश, एडवोकेट प्रभात कुमार, वालेन्द्र कटियार, योगेन्द्र नाथ उपाध्याय, ओ. पी. तिवारी, यादवेंद्र पाल, सचिन कुमार, वन्दना सिंह, जय प्रकाश मौर्य, पुष्पेंद्र कुमार, विजय वर्मा सहित अन्य लोगों ने भी अपने विचार रखें।

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