आस्था के साथ ही अर्थव्यवस्था का केंद्र बना अयोध्या,यूपी की जीडीपी में इतने फीसदी की ग्रोथ

अयोध्या। अयोध्या में भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर के निर्माण से न केवल भक्तों की आस्था को बल मिला, बल्कि अयोध्या की अर्थव्यवस्था को भी बूस्टर डोज मिला है। जारी आंकड़ो पर यदि नजर डाले तो अयोध्या में आने वाले श्रद्धालुओं और पर्यटकों की वजह से यूपी की अर्थव्यस्था में दो फीसदी का ग्रोथ हुआ है। आने वाले समय में यह यूपी की तरक्की की मिशाल बनेगा।राममंदिर से बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार मिला है। इससे अयोध्या की जीडीपी में 2% की वृद्धि हुई है।

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर 1,000 लोगों को रोजगार दिया गया है। इनको वेतन के साथ पीएफ व ग्रेच्युटी की भी सुविधा प्राप्त है। बता दें कि यूपी के बाहर के अलावा विदेश से भी बड़ी संख्या में भक्त रोज प्रभु के दर्शन करने पहुंच रहे है। मंदिर निर्माण से जहां होटल, होम स्टे के कारोबार को पंख लगे हैं वहीं छोटे-छोटे धंधे भी फल-फूल रहे हैं। रामलला की फोटो, लॉकेट, पेन, पानी की बोतल, माथे पर चंदन लगाकर लोग रोजाना 500 से लेकर 1,000 रुपये तक कमा रहे हैं।

छोटे दुकानदारों की आय में इजाफा

मंदिर परिसर के साथ ही आसपास छोटी- छोटी दुकान में पूजा सामग्री, फूल और प्रसाद विक्रेताओं की आय चार गुना तक बढ़ी है। छोटे दुकानदारों ने बताया हमारी आय पहले 400 से 500 रुपये थी। यह अब बढ़कर रोजाना 2500 तक हो गई है। चंदन टीका लगाने वाले भी रोज 500 रुपया तक कमा ले रहे हैं। व्हील चेयर चालक अर्जुन साहू दिनभर में 1,200 से 1500 रुपये कमाते हैं।

बड़े ब्रांड्स का भी केंद्र बन रही अयोध्या

रामनगरी बड़े ब्रांड्स के केंद्र के तौर पर भी स्थापित हो रही है। यहां पिज्जा हट, डामिनोज, करी लीफ, पैंटालून जैसे बड़े ब्रांड के आउटलेट खुले हैं। कुछ आउटलेट राम जन्मभूमि पर सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आने के बाद तो कुछ मंदिर निर्माण शुरू होने के बाद खुले हैं। राममंदिर के गेट के ठीक सामने साउथ की मशहूर संस्था उडुप्पी ने भी अपने रेस्टोरेंट खोल दिए हैं। स्मार्ट बाजार, रिलायंस ट्रेंड्स, काॅब इटली के आउटलेट भी खुल गए हैं।

दंतधावन कुंड मार्ग पर नया बाजार बस गया है। पूरे मार्ग पर छोटी-छोटी दुकानें सजी हैं। किसी ने प्रसाद सामग्री सजा रखी है तो किसी ने फोटो की दुकान। कोई रामनामी गमछा बेच रहा है तो किसी ने जलपान व भोजनालय खोल रखा है।
अनिल सिंह ने बताया कि उन्होंने जनवरी के अंतिम सप्ताह में छोटी सी दुकान प्रसाद सामग्री की खोली थी। शुरुआत में रोजाना तीन से चार हजार की कमाई हो जाती थी। अब श्रद्धालु घटे हैं फिर भी डेढ़ से दो हजार की कमाई हो जाती है।

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