नई दिल्ली। घाटी में धारा 370 हटने के बाद पहली राज्य की सरकार चुनने के लिए विधानभा चुनाव होने जा रहा है। मतदान के लिए मैदान सज गया है। छोटे—बड़े राजनीतिक दल और प्रत्याशी मैदान मारने के लिए पूरा जोर आजमा रहे है। एक तरफ जमे जमाए राजनीतिक परिवार है दूसरी तरफ कश्मीर को नई राह पर ले जाने के लिए निर्दलीय और छोटे दलों के प्रत्याशी काफी दमदारी से चुनाव लड़ रहे है। वही इस बार बीजेपी भी कमल खिलाने के लिए पूरे दम खम के साथ चुनाव लड़ रही है। आंकड़ों पर नजर डाले तो कश्मीर की 47 सीटों में से 32 सीटों पर पीडीपी व नेशनल कॉन्फ्रेंस-कांग्रेस गठबंधन के खिलाफ मजबूती से लड़ रहे हैं। वहीं बीजेपी ने घाटी में कमल खिलाने के लिए खास रणनीति से काम कर रही है।
रशीद इंजीनियर पर नजर
बीजेपी ने साफ किया कि अलगाववादी नेता और जम्मू-कश्मीर अवामी इत्तेहाद पार्टी के मुखिया रशीद इंजीनियर से भविष्य में किसी प्रकार का गठबंधन नहीं होगा। सरकार के एक वरिष्ठ मंत्री ने कहा कि कश्मीर के मतदाता पीपीडी, कांग्रेस, नेशनल कॉन्फ्रेंस से इतर नए विकल्प की तलाश कर रहे हैं। किसी भी सूरत में राज्य में इनकी सरकार नहीं बनने जा रही। जहां तक रशीद से समझौते की बात है तो आतंकवाद व टेरर फंडिंग से जुड़े ऐसे व्यक्ति से किसी समझौते का प्रश्न ही नहीं है।गौरतलब है कि लोकसभा की बारामुला सीट पर उमर अब्दुल्ला को हराने वाले रशीद हाल ही में जमानत पर छूटे हैं। उनकी पार्टी घाटी की 35 सीटों पर चुनाव लड़ रही है।
शांतिपूर्ण हुआ था लोकसभा चुनाव
मंत्री ने कहा कि अनुच्छेद 370 और 35 ए के खात्मे के बाद राज्य पटरी पर आता दिख रहा है। एक योजना के तहत राज्य को केंद्रशासित प्रदेश बनाया गया। 370 खत्म होने पर सरकार ने भविष्य में पुरानी स्थिति बहाल करने का वादा किया था। सरकार इसे पूरा करेगी। उन्होंने कहा, लोकसभा चुनाव में 53 फीसदी लोगों ने वोट किया। अलगाववाद और पाकिस्तान समर्थक शक्तियां अब संविधान की शपथ लेकर चुनाव लड़ रही हैं। यह बदलाव हमारी बड़ी जीत है। बता दें कि लोकसभा चुनाव में बंपर वोटिंग हुई थी, इस दौरान काफी शांतिपूर्ण माहौल में मतदान हुआ था।
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