अयोध्या। अगर कहा जाए कि 2024 का लोकसभा चुनाव बीजेपी अयोध्या मंदिर के भव्य निर्माण को मुदृदा बनाकर लड़ रही है। हर जनसभा में बीजेपी नेता अयोध्या का जिक्र जरूर कर रहे है। चाहे मंदिर की भव्यता,अपने वादे को पूरे करने की बात हो या विपक्ष को निमंत्रण पर न आने की बात पर घेरने की हो। लेकिन इन सब के बीच मंदिर आंदोलन का एक सितारा विनय कटियार कही गुम हो गया है। अब कोई भूले से भी उसका नाम नहीं ले रहा है।
विनय कटियार एक ऐसा नाम जिसके नाम पर यूपी की राजनीति होती थी, वह सितारा धीरे—धीरे समय की गर्दिश में खो गया। अब न तो कोई उनका नाम लेने वाला बचा और न ही उन्हें कभी कोई पूछता।अयोध्या की राजनीति में कभी जाना पहचाना नाम रहे विनय कटियार इन दिनों राजनीति से दूर जीवन यापन कर रहे है। बता दें कि विश्व हिंदू परिषद की युवा शाखा बजरंग दल के संस्थापक अध्यक्ष के रूप में उन्हें देश भर में पहचान मिली।
चार बार अयोध्या का किया प्रतिनिधित्व
राममंदिर आंदोलन के समय विनय कटियार एक चर्चित नाम हुआ करते थे। भाजपा में उन्होंने राष्ट्रीय महासचिव तक का दायित्व संभाला। वर्ष 1991 व 1999 में वे दो बार फैजाबाद संसदीय क्षेत्र से चुने भी गए। पार्टी ने कार्यों को देखते हुए उन्हें दो बार राज्यसभा भी भेजा। इसके बाद 2022 के विधानसभा चुनाव तक कटियार अयोध्या की राजनीति में सक्रिय रहे। उन्होंने इस विधानसभा चुनाव में रुदौली के पार्टी प्रत्याशी रामचंद्र यादव के समर्थन में चुनावी सभाएं भी कीं। इसके बाद से वे राजनीति से कटते गए। इस आम चुनाव में अभी तक भाजपा की ओर से उनकी कोई भूमिका तय नहीं की गई है।
मंदिर आंदोलन के हीरो
बता दें कि विनय कटियार को अयोध्या आंदोलन के हीरों के रूप में जाना जाता है।अयोध्या आंदोलन में विनय कटियार 1984 में जुड़े। उस समय वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्णकालिक सदस्य थे और संघ ने उन्हें बजरंग दल की कमान सौंपी थी। कटियार बजरंग दल के पहले अध्यक्ष भी थे, क्योंकि इस संगठन की स्थापना 1984 में ही हुई थी। उन्होंने अपनी जिम्मेदारी को इतने शानदार तरीके से निभाई कि अब जब—जब अयोध्या आंदोलन का इतिहास लिखा जाएगा उनके बिना अधूरा ही रहेगा।
इसे भी पढ़ें….