नेताजी सुभाषचंद्र बोस की जयंती पर आयोजित हुई जुलूस व जनसभा

बदलापुर, जौनपुर। छात्र संगठन – एआईडीएसओ, युवा संगठन – एआईडीवाईओ, किसान संगठन – एआईकेकेएमएस तथा किशोर संगठन – कॉमसोमोल के संयुक्त तत्वावधान में भारतीय आजादी आंदोलन की गैर समझौतावादी धारा के महानायक व महान क्रांतिकारी योद्धा नेताजी सुभाषचंद्र बोस की 127वीं जयंती के अवसर पर आज 23 जनवरी 2024 को बदलापुर सब्जी मंडी परिसर में जन सभा आयोजित की गई। इसके पहले 11 बजे से बदलापुर पुरानी बाजार बाग से इंदिरा चौक होते हुए सब्जी मंडी तक नेताजी की फोटो व झंडे बैनर से सुसज्जित जुलूस भी निकाला गया। जन सभा की शुरुआत नेताजी की तस्वीर पर मल्यार्पण करके की गई।

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता – कॉ. अशोक मिश्र (भूतपूर्व महासचिव, AIDSO) ने कहा कि, नेताजी सुभाषचंद्र बोस के गैर समझौतावादी क्रांतिकारी विचारों की प्रासंगिकता बढ़ती जा रही है। क्योंकि, जन जीवन की असली समस्याओं- महंगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, अशिक्षा, अपसंस्कृति, अपराध से ध्यान हटाने के लिए जाति, धर्म, क्षेत्र व भाषा के आधार पर लोगों की एकता को तोड़कर उन्हें आपस में लड़ाने का काम किया जा रहा है, ताकि देश में बढ़ रहे शोषण-जुल्म व अन्याय-अत्याचार के खिलाफ जनशक्ति के निर्माण को रोका जा सके। जबकि नेताजी ने कहा था कि धर्म को शिक्षा व राजनीति से पूरी तरह से अलग रखना चाहिए। सारी समस्याओं की जड़ पूंजीवादी व्यवस्था के खिलाफ छात्र नौजवान खड़ा न हो सके, युवा पीढ़ी फिर से क्रांति की ओर न मुड़ सके, इसलिए शासक पूंजीपति वर्ग और सत्ताधारी पार्टियां देश के महान मनीषियों और क्रांतिकारी योद्धाओं की गौरवशाली इतिहास को भुलाने की कोशिश कर रही हैं।
देश की इस विकट परिस्थिति में नेताजी के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि हमें क्या करने को कहती है ? नेताजी ने कहा था – *” बचपन में अंग्रेजों को देश से बाहर खदेड़ना ही मैं अपना परम कर्तव्य समझता था, बाद में गंभीरता से सोचने पर मैंने समझा कि अंग्रेजों को भगा देने से ही हमारे कर्तव्यों की इतिश्री नहीं हो जाती। एक नई सामाजिक व्यवस्था कायम करने के लिए हिंदुस्तान में एक और क्रांति की जरूरत है। “* (क्रांति क्या है?)। नेताजी के सपनों के इस नए सामाजिक व्यवस्था को लागू करने के लिए पूंजीवाद विरोधी समाजवादी क्रांति की जरूरत है। साथ ही जरूरत है इस युग के श्रेष्ठ क्रांतिकारी विचारों से लैस हजारों खुदीराम बोस, भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां, मास्टर दा सूर्यसेन, प्रीतिलता की ; जो जनता को सचेत संगठित और नैतिक ताकत से बलिष्ठ बनाकर क्रांतिकारी संघर्षों में शामिल करवाएंगे। इस काम में लगना ही है महान क्रांतिकारी योद्धा नेताजी सुभाषचंद्र बोस के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि।
जन सभा की अध्यक्षता एक अध्यक्ष मंडल द्वारा की गई, जिसमें  जवाहिरलाल मिश्र, इंदुकुमार शुक्ल व संतोष प्रजापति शामिल रहे। संचालन –  दिनेशकांत मौर्य ने किया। सभा को रविशंकर मौर्य,  मिथिलेश मौर्य, दिलीप कुमार, राजेंद्र प्रसाद तिवारी व प्रमोद कुमार शुक्ल ने संबोधित किये। क्रांतिकारी गीत अंजली, अनीता, पूनम, चंदा, वंदना, श्वेता ने पेश किए। इस अवसर पर सैकड़ों छात्र, युवा, किसान, मजदूर, महिलाएं व बुद्धिजीवीगण मौजूद रहे।

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