लखनऊ। नागरिक परिषद व पीपुल्स यूनिटी फोरम के तत्वावधान में प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता रामकृष्ण की प्रथम पुण्यतिथि के अवसर पर मोतीनगर, लखनऊ में स्मृति सभा व लोकतंत्र को सशक्त बनाने में समाज की भूमिका ! विषय पर परिसंवाद का आयोजन किया गया।कार्यक्रम की अध्यक्षता एक अध्यक्ष मंडल ने किया जिसमे भगवती सिंह, डा. रमेश दीक्षित, सी. एम. शुक्ला शामिल रहे व संचालन ओ. पी. सिन्हा व डा. नरेश कुमार ने किया।
वक्ताओं ने कहा कि रामकृष्ण अपने छात्र जीवन से ही सामाजिक कार्यों में सक्रिय रहे व जेपी आन्दोलन मे भी सक्रिय भूमिका निभाई थी और आजीवन सामाजिक जीवन मे सक्रिय रहे।वक्ताओं ने कहा कि रामकृष्ण निश्चित रूप से एक राजनीतिक व्यक्ति थे और देश की मेहनतकश, दलित, शोषित जनता के हितों के लिये निरंतर संघर्ष रत रहते थे। उनकी राजनीति का एक गहरा मानवीय एवं सामाजिक पक्ष था। लोगों से उनका जुड़ाव संवेदना के धरातल पर था।
देश में कमजोर होता लोकतंत्र
वक्ताओं ने कहा कि रामकृष्ण की मूल चिंता का विषय देश में कमजोर होता लोकतंत्र था और बढ़ती हुयी तानाशाही की चुनौती थी। इसलिये लोकतंत्र के लिये चलने वाले हर संघर्ष में वे पूरी शक्ति से शामिल होते थे। लोकतंत्र के सन्दर्भ में उनकी समझ थी कि राज्य सत्ता की प्रकृति ही लोकतंत्र विरोधी होती है। इसलिये सवाल यह है कि राज्य सत्ता पर समाज का नियंत्रण कैसे बढे और सार्वजनिक जीवन के संचालन में जनता की, किसानों मजदूरों की सीधी भागीदारी कैसे बढ़े। इसलिये जनांदोलन को वे सबसे अधिक महत्व देते थे।
कार्यक्रम में रामकिशोर, के. के. शुक्ला, कौशल किशोर के श्रध्दांजलि संदेश भी पढे गये।वक्ताओं में डा. बृज बिहारी, जय प्रकाश, एडवोकेट प्रभात कुमार, एड. वीरेंद्र त्रिपाठी, राधेश्याम कनौजिया, रामकिशोर, श्री कृष्णा सिंह, परवेज अहमद, अफीक सिद्दिकी, आदियोग, राजीव पांडे, बसंत कुमार, राजा भाई, रूपराम गौतम, होमेन्द्र कुमार, रोहित कुमार, लता राय, सादेश अली, सीमा यादव, वन्दना सिंह, दिनकर कपूर, शिवाकांत गोरखपुरी, दिलीप सिंह, महावीर सिंह, प्रभात सिंह, शान्तनु सिंह, रिपुंजय सिंह, डा. रिचा सिंह, सौम्या सिंह, प्रवीण सिंह, ज्योति राय, डा. अजय कुमार, सोहित यादव सहित अन्य लोग रहे।
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