बिजनेस डेस्क: मुंबई के माइक्रो-मार्केट्स वर्तमान में बड़े पैमाने पर बदलाव का अनुभव कर रहे हैं। यह बदलाव मुख्य रूप से शहर में हो रही व्यापक पुनर्विकास परियोजनाओं के कारण देखने को मिल रहा है। महाराष्ट्र हाउसिंग एंड एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी (MHADA) के अनुसार, मुंबई की 25,000 से अधिक हाउसिंग सोसायटियां पुनर्विकास के लिए तैयार हैं। यह स्पष्ट संकेत देता है कि पुरानी और जर्जर इमारतों के पुनर्निर्माण पर ध्यान केंद्रित करते हुए डेवलपर्स शहर के शहरी ढांचे में बड़े बदलाव लाने की क्षमता रखते हैं। खाली जमीन की बढ़ती कमी के बीच, पुनर्विकास उभरती आवासीय मांग को पूरा करने और शहर की बुनियादी सुविधाओं को सुधारने के लिए एक महत्वपूर्ण रणनीति बनकर उभरा है। बुनियादी ढांचे के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट्स के साथ, पुनर्विकास न केवल मुंबई के माइक्रो-मार्केट्स की कनेक्टिविटी बल्कि जीवन स्तर को भी बेहतर बना रहा है।
मुंबई के माइक्रो-मार्केट्स का बदलता स्वरूप
इतिहास से पता चलता है कि मुंबई का विकास हमेशा इसके रेलवे नेटवर्क के आसपास हुआ है। उपनगरीय रेल मार्गों के पास आवासीय परियोजनाएं विकसित हुईं, और यह बाजार फलता-फूलता गया। सार्वजनिक परिवहन पर इस निर्भरता ने पश्चिमी और मध्य उपनगरों में माइक्रो-मार्केट्स के विकास को प्रभावित किया। चेंबूर, बांद्रा, मालाड और बोरिवली जैसे क्षेत्र परिवहन के केंद्रों के नजदीक होने के कारण लोकप्रिय हो गए। लेकिन अब, पुनर्विकास ने इन माइक्रो-मार्केट्स में नई जान फूंक दी है। ये स्थान आधुनिक आवासीय केंद्रों में बदल गए हैं और खरीदारों की बदलती पसंद के अनुरूप हो रहे हैं।
पुरानी इमारतों को आधुनिक, सुविधाओं से लैस कॉम्प्लेक्स में बदलने से इन क्षेत्रों में घर खरीदारों और निवेशकों का आकर्षण बढ़ा है। आधुनिक पुनर्विकास परियोजनाएं बेहतर जीवन सुविधाएं, उन्नत सुरक्षा और उत्कृष्ट बुनियादी ढांचे प्रदान करती हैं। इस कारण परिवारों को जीवन शैली में सुधार और युवा पेशेवरों को बेहतर शहरी जीवन के अवसर मिलते हैं। वहीं, निवेशकों के लिए भी इन पुनर्विकसित क्षेत्रों में संपत्ति के मूल्य में वृद्धि से लाभ प्राप्त करने के अवसर हैं।
सरकारी पहल और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की भूमिका
पुनर्विकास की इस लहर को महाराष्ट्र सरकार के उस फैसले ने गति दी, जिसमें COVID-19 महामारी के दौरान रियल एस्टेट प्रीमियम्स को आधा कर दिया गया। इस नीति से पश्चिमी उपनगरों और मध्य मुंबई में निर्माण परियोजनाओं को काफी बढ़ावा मिला। इन क्षेत्रों में पुनर्विकास की आवश्यकता वाली कई पुरानी संरचनाएं मौजूद हैं। कोस्टल रोड और मेट्रो फेज 3 जैसे बुनियादी ढांचा प्रोजेक्ट्स भी मुंबई के माइक्रो-मार्केट्स के पुनर्गठन में अहम भूमिका निभा रहे हैं। ये प्रोजेक्ट्स शहर के भीतर कनेक्टिविटी को बेहतर बना रहे हैं, जिससे दक्षिण मुंबई और उपनगरों के बीच यात्रा का समय कम हो रहा है। उदाहरण के लिए, कोस्टल रोड पश्चिमी उपनगरों को दक्षिण मुंबई से जोड़ेगा, जिससे बांद्रा और जुहू/विलेपार्ले जैसे क्षेत्रों की मांग और आकर्षण में वृद्धि होगी। इन क्षेत्रों में पुनर्विकास परियोजनाएं पहले से ही जारी हैं। इसी प्रकार, कफ परेड से आरे कॉलोनी को जोड़ने वाली मेट्रो फेज 3 से कनेक्टिविटी में सुधार होगा, जिससे ये क्षेत्र आवासीय और व्यावसायिक विकास के लिए अधिक आकर्षक बन जाएंगे।
उपनगरों का रूपांतरण
मुंबई के उपनगरीय माइक्रो-मार्केट्स में बोरिवली, दहिसर, चेंबूर और मुलुंड जैसे क्षेत्र जो कभी शहर के बाहरी हिस्से माने जाते थे, अब प्रमुख विकास क्षेत्रों के रूप में उभर रहे हैं। यह परिवर्तन मुख्य रूप से बढ़ी हुई कनेक्टिविटी के कारण है, जैसे मुंबई ट्रांस हार्बर लिंक (MTHL), जो मुंबई को नवी मुंबई से जोड़ता है।
आयुष अग्रवाल, संस्थापक और निदेशक, इंस्पिरा रियल्टी
सामाजिक पुनरोद्धार का साधन
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