सामाजिक कार्यकर्ता रामकृष्ण जी के द्वितीय स्मरण दिवस पर लोकतंत्र व नागरिक समाज विषय पर परिसंवाद का हुआ आयोजन

रामकृष्ण जी के चित्र पर माल्यार्पण करते हुए

12 जनवरी 2025, लखनऊ। नागरिक परिषद व पीपुल्स यूनिटी फोरम के तत्वावधान में सामाजिक कार्यकर्ता व विचारक रामकृष्ण के द्वितीय पुण्यतिथि के मौके पर स्मृति सभा व लोकतंत्र और नागरिक समाज विषय पर परिसंवाद का आयोजन हजरतगंज स्थित सी. बी. सिंह स्मृति सभागार में किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता AIWC के अध्यक्ष ओ. पी. सिन्हा ने व संचालन एडवोकेट वीरेन्द्र त्रिपाठी ने किया।

कार्यक्रम में बोलते हुए ओंकार सिंह

कार्यक्रम में बोलते हुए वक्ताओं ने कहा कि रामकृष्ण जी नागरिक आंदोलनों के अगुवा होने के साथ वे सार्वजनिक एवं सामाजिक जीवन के हर क्षेत्र में सक्रिय थे- किसान आंदोलन, श्रमिक आंदोलन के साथ उनकी मुख्य रूचि लोकतंत्र और लोकतांत्रिक आंदोलनों में विशेष थी।
वक्ताओं ने कहा कि आज देश और दुनिया में लोकतंत्र का प्रभाव कम होता जा रहा है और हर जगह तानाशाही एवं फासीवाद का प्रभाव बढ़ता जा रहा है, ऐसे में लोकतंत्र को सशक्त बनाने में नागरिक समाज की भूमिका कैसे बढें इसके बारे में हमें सोचना और करना है। संसदीय लोकतंत्र में नागरिक समाज के पास सिर्फ वोट डालने का अधिकार होता है, वे कैसे लोकतंत्र को आगे बढ़ाने में सोच समझकर अपने वोट का प्रयोग करें यह एक बड़ी चुनौती है। इसके साथ ही सरकार की यह प्रवृत्ति होती है कि वह सारी शक्ति का अपने पास केन्द्रीकरण करे और इसके लिए कानून बनाकर और बलपूर्वक नागरिक समाज में अधिकारों को छीनती है। ऐसा इसलिये करती है कि सत्ता का इस्तेमाल चंद धनपतियों के लिये करे और नागरिक समाज से अधिकतम टैक्स वसूली करें। जनता के मतों से चुनी गयी सरकार पर कैसे निरंतर दबाव बनाया जाय कि वह नागरिकों के हित में काम करें और शासन प्रशासन में आम लोगों की भागीदारी बढ़ायें, इसके लिये जन आंदोलनों की भूमिका होती है।
वक्ताओं ने कहा कि किसी देश में लोकतंत्र तभी फलता फूलता है जब वहां लगातार जन आंदोलन होते रहे। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए साथी रामकृष्ण जी ने नागरिक परिषद नाम से एक जन संगठन बनाया था। आज के कठिन दौर में हमें अपने साथी के इसी काम को आगे बढ़ाने के लिये संकल्प करना है।
कार्यक्रम में ओंकार सिंह, भगवती सिंह, कौशल किशोर, असगर मेंहदी, राजेश पांंडे, सतीश श्रीवास्तव, आदियोग, लता राय, के. के. शुक्ल, विजय श्रीवास्तव, डा. नरेश कुमार, योगेंद्र उपाध्याय, ओम प्रकाश तिवारी, के. पी. यादव, अशोक आर्या, रुप राम गौतम, श्रीकृष्ण सिंह, सौम्या सिंह, रिचा सिंह, अजय कुमार, आरिफ खान, अफजाल अहमद, सी एम शुुक्ला, विजय कुमार, अजय शर्मा, प्रभात कुमार, डा. अमित राय, मन्दाकिनी, ज्योति राय, सहित अन्य लोगों ने अपने विचार रखे।

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