मुरादाबाद। डॉक्टर को इस धरती का भगवान कहा जाता है, लेकिन कई डॉक्टर अपने पेशे के साथ न्याय नहीं करते,वह अधिक पैसा कमाने के फेर में अधिक मरीज देखते है कई बार इसी जल्दबाजी में कई मरीजों की जान मुश्किल में पड़ जाती है।कुछ ऐसा ही मामला यूपी मुरादाबाद में सामने आया यहां एक गर्भवती के ऑपरेशन के दौरान चिकित्सक ने पेट में रुई छूट गई। दर्द बने रहने पर पीड़िता ने दूसरे चिकित्सक से जांच कराई तो इसकी जानकारी हुई। रुई निकालने के लिए दोबारा ऑपरेशन करना पड़ा। इसके बाद पीड़िता ने उपभोक्ता अदालत में वाद दायर किया था। अदालत ने चिकित्सक पर 70 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। एक माह के भीतर जुर्माना देना होगा।
पेट दर्द से परेशान थी पीड़िता
कटघर थानाक्षेत्र के गोविंद नगर निवासी कल्पना सक्सेना पत्नी पवन सक्सेना ने 17 जुलाई 2007 को जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग में दावा पेश किया था। जिसमें कहा था कि वह गर्भवती थी और उसका इलाज प्रहलाद नर्सिंग होम की चिकित्सक डाक्टर ज्योति रस्तोगी द्वारा किया जा रहा था।11 जुलाई 2006 को पीड़िता ने एक पुत्री को जन्म दिया। उसे 15 जुलाई को डिस्चार्ज कर दिया गया। पुत्री ऑपरेशन से हुई थी। इस कारण से पीड़िता को पेट में दर्द होने की शिकायत होने लगी। तब चिकित्सक ने टांके सुखाने की दवा पीड़िता को दे दी लेकिन उसकी तकलीफ दूर नहीं हो पाई।
कोर्ट ने पाया डॉक्टर को दोषी
परेशान महिला ने जब इसकी शिकायत डॉक्टर से की गई तो उसने टीबी की बीमारी बता कर दूसरे डॉक्टर को दिखाने की सलाह दी। पीड़ित महिला की ज्यादा तबीयत खराब होने पर एक अन्य सर्जन से सलाह ली गई। तब अल्ट्रासाउंड के माध्यम से पता चला कि पीड़ित महिला के पेट में रुई है जो कि ऑपरेशन के समय डॉक्टर ज्योति रस्तोगी की गलती से रह गई। पीड़िता ने पुनः ऑपरेशन कराया। जिसके बाद उपभोक्ता अदालत में चिकित्सक के खिलाफ दावा प्रस्तुत किया। इस मामले की सुनवाई आयोग प्रथम के अध्यक्ष रमा शंकर सिंह एवं सदस्य रमेश कुमार विश्वकर्मा और रंजना द्वारा की गई। जिन्होंने चिकित्सक को दोषी मानते हुए उस पर साठ हजार रुपये छह प्रतिशत के साथ एवं दस हजार रुपए वाद व्यय के रूप में एक माह के भीतर पीड़ित महिला को देने के आदेश दिए हैं।
इसे भी पढ़ें…