गोरखपुर। इस समय यूपी की राजनीति में मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र में होने वाले उपचुनाव की वजह से पारा चढ़ा हुआ है। एक तरफ सपा अपनी विरासत को बचाने के लिए हर जी तोड़ में जुटी हुई हैं,दूसरी तरफ बीजेपी सपा के एक और गढ़ को भेदने के लिए हर तरह के तीर चलाने को तैयार हैं। अपनी पत्नी डिंपल यादव की जीत पक्की करने के लिए सपा मुखिया अखिलेश यादव ने चाचा शिवपाल सिंह यादव से सारे गिले—शिकवे भूलाकर उनके घर मिलने पहुंचे। इस मुलाकात जहां सपा वाले डिंपल यादव की जीत पक्की के तौर पर देख रहे है, दूसरी तरफ बीजेपी नेता इस पर तंज कस रहे है।
चाचा से मिलने पहुंचे थे अखिलेश
केंद्रीय कानून राज्यमंत्री एसपी सिंह बघेल(SP Singh Baghel) ने अखिलेश-शिवपाल की मुलाकात पर तंज कसा है,उन्होंने अखिलेश-शिवपाल सिंह यादव की मुलाकात को दुरभि संधि बताया। उन्होंने कहा कि चाणक्य ने कहा था कि जब कोई राजा बहुत लोकप्रिय हो जाता है तो दुश्मन का दुश्मन दोस्त के सिद्धांत पर दुरभि संधियां करता हैं, उन्होंने कहा कि अब क्या है कि ‘मुझे कोई और नहीं, मुझे कोई ठौर नहीं।’ इस बात पर है। अब ‘विरासत नहीं करेंगी, सियासत के फैसले, अब उड़ाने तय करेंगी, आसमान किसका होगा।
शिवपाल को फिर बनाया मुहरा
एसपी सिंह बघेल ने कहा कि आप कहेंगे, तो उन्हें यशवंतनगर की सीट मिली, तो यशवंत नगर की सीट उन्हें साइकिल देकर सपा के टिकट पर चुनाव लड़ाकर अखिलेश यादव ने अपनी सीट को निकलवा लिया है। उनके अध्यक्ष, पत्नी और बेटे को नहीं दिया, ये कह रहे होंगे कि मैनपुरी गढ़ है, तो 2019 का चुनाव भाजपा के लिए सबसे कठिन चुनाव था, क्योंकि सपा और बसपा के गठबंधन की सरकार रही है, दोनों का चुनाव था, उन्होंने कहा कि वे कभी-कभी दुश्मनों की भी तारीफ करते हैं, उन दोनों नेताओं में वोट ट्रांसफर करने की क्षमता रही है।
मुलायम सिंह यादव मैनपुरी लोकसभा महज 94 हजार वोटों से चुनाव जीते थे, बसपा गोरखपुर, चिल्लूपार, पडरौना या बस्ती हो, एक लोकसभा चुनाव में लाख वोट डाल देती है। 2019 में बसपा से गठबंधन नहीं होता, तो वे चुनाव हार गए होते, अबकी बार तो बसपा भी साथ नहीं है। दो और दो राजनीति में चार नहीं होते हैं, जब गठबंधन होता है, तो कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ता है। अब मुलायम सिंह का भी निधन हो गया है, वे नहीं हैं बसपा नहीं है न तो उनका मार्गदर्शन मिल रहा है। न वे खुद प्रत्याशी हैं, इसलिए भाजपा ये उप चुनाव वहां पर जीतेगी।
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