उत्तर प्रदेश छात्र- युवा रोजगार अधिकार मोर्चा के तत्वावधान में ‘यूपी मांगे रोजगार’ अभियान के तहत लखनऊ में मार्च व प्रदर्शन

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रोजगार की मांग को लेकर नौजवानों का प्रदर्शन

लखनऊ। उत्तर प्रदेश छात्र- युवा रोजगार अधिकार मोर्चा के बैनर तले चलाए जा रहे ‘यूपी मांगे रोजगार’ अभियान के तहत आज 25 लाख सरकारी पदों को भरने समेत विभिन्न मांगों को लेकर विधानसभा तक मार्च करने की घोषणा विभिन्न संगठनों द्वारा निर्मित मोर्चे ने किया था, जिसके तहत पूरे प्रदेश के अलग-अलग जिलों से सैकड़ों नौजवान लखनऊ पहुंचे। मोर्चे के सदस्यों ने बताया कि नौजवानों के विधानसभा मार्च से डरी हुई योगी सरकार जगह-जगह पर नौजवानों को लखनऊ आने से रोक रही थी।

पुलिस प्रशासन मार्च को रोकने का किया प्रयास

लखनऊ चारबाग स्टेशन से सुबह 8 बजे से ही गिरफ्तारियां शुरू हो गईं। सैकड़ों लोगों को गिरफ्तार किया गया। मोर्चे के सदस्यों ने बताया कि बावजूद इसके नौजवानों ने अपनी रणनीति बदली तथा केकेसी कॉलेज पर इकट्ठा होकर रोजगार अधिकार मार्च शुरू किया।विधानसभा की ओर आगे बढ़ने पर बर्लिंगटन चौराहे पर पहुंचते ही पुलिस प्रशासन मार्च को रोकने लगा। जिस को धता बताते हुए नौजवानों ने आगे बढ़ने की कोशिश की जहां पर पुलिस और नौजवानों के बीच काफी धक्का-मुक्की हुई और पुलिस ने बर्बरता का व्यवहार करते हुए कोहनी व डंडों से मारा व फोटो खींच रहे लोगों का कैमरा भी पुलिस प्रशासन ने छीन लिया।

जुलूस प्रदर्शन के दौरान ‘आंकड़ों में उलझाओ, रोजगार कहां है यह बतलाओ’, ’25 लाख सरकारी पदों को तत्काल भरो’, ‘रोजगार न मिलने तक 10000 बेरोजगारी भत्ता दो’, ‘69000 शिक्षक भर्ती में आरक्षण घोटाला की जांच कराओ’, ’97 हजार नई शिक्षक भर्ती घोषित करो’, ‘रोजगार नहीं तो सरकार नहीं’, ‘निजीकरण पर रोक  लगाओ, रोजगार को मौलिक अधिकार बनाओ’, ‘आरक्षण विरोधियों की सरकार नहीं चलेगी’, ‘सरकारी संपत्तियों को बेचना बंद करो’ आदि नारे लगा रहे थे।

छात्र युवा रोज़गार अधिकार मोर्चा

गिरफ्तारी के बाद इको गार्डन में हुई सभा को सम्बोधित करते हुए छात्र युवा रोज़गार अधिकार मोर्चा के संयोजक सुनील मौर्य ने कहा कि, ” पूरे प्रदेश के नौजवानों में बेरोजगारी के खिलाफ गुस्सा है। नौजवान रोज़गार के सवाल पर मुख्यमंत्री से मिलने की कोशिश करेगा तो लाठी-डंडों के बल पर रोक दिया जाएगा जिसको छात्र नौजवान बर्दाश्त नहीं करेगा। चुनाव से पहले 25 लाख रिक्त सरकारी पदों को नहीं भरा गया तो नौजवान योगी सरकार को सत्ता से बेदखल करने का काम करेगा।”

रोज़गार की लड़ाई यूपी में

महासचिव प्रसेनजीत कुमार ने कहा कि, ” उत्तर प्रदेश में चल रहे रोज़गार आंदोलन पर योगी सरकार लगातार दमन कर रही है। वह सोच रही है कि लाठी, दमन से यह बात दब जाएगी लेकिन रोज़गार की लड़ाई यूपी में और अधि क मजबूत होती जा रही है। पूरे देश के बेरोजगार युवाओं की 10% आबादी यूपी में रहती है। कोरोनाकाल के दौरान लॉक डाउन में लाखों नौकरियाँ खत्म हुईं जिसका एक बड़ा हिस्सा उत्तर प्रदेश से था लेकिन इसपर सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया। उन्होंने आगे कहा कि, “नए रोज़गार देने की बात तो छोड़िए, खाली पदों को भरना भी दूर की बात है, लेकिन इस सरकार में तो नौकरियों को व्यवस्थित रूप से खत्म किया जा रहा है। इसके ख़िलाफ़ युवाओं द्वारा छेड़ी गयी यह लड़ाई सरकार के होश उड़ा देगी।”

रोज़गार आंदोलन ने सरकार के होश उड़ाकर रख दिये हैं

इंकलाबी नौजवान सभा के प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह ने कहा कि, “इस धारावाहिक रोज़गार आंदोलन ने सरकार के होश उड़ाकर रख दिये हैं, 2022 में योगी सरकार रोज़गार के सवाल को नजरअंदाज करके सत्ता में नहीं बनी रह सकती। रोज़गार की लड़ाई सरकार बदलने की लड़ाई नहीं है बल्कि सरकार बदल जाने के बाद भी जारी रहने वाली लड़ाई है और इसे बड़ी एकजुटता के साथ जारी रखना होगा।”

जिलाध्यक्ष प्राची मौर्य ने कहा कि, “देश में शिक्षा के बढ़ते निजीकरण और उसके परिणामस्वरूप हाशिये के तबकों की शिक्षा से बढ़ती बेदखली आज चरम पर है। नई शिक्षा नीति इन बातों को पुख्ता करने का दस्तावेज है। बढ़ती फीसें, घटती आमदनी, रोज़गार के अवसरों में भारी कमी आदि आज के छात्र एवं युवा समुदाय के लिए सबसे महत्वपूर्ण सवाल हैं। युवाओं में पनप रहा गुस्सा वर्तमान योगी सरकार को सत्ताच्युत करके ही दम लेगा।”

सरकार महिलाओं के प्रति बिल्कुल भी संवेदनशील नहीं है

यूपी मांगे रोज़गार-बनारस की चंदा यादव ने कहा कि, “योगी सरकार महिलाओं के प्रति बिल्कुल भी संवेदनशील नहीं है। प्रदर्शन के दौरान महिला साथियों के साथ बदतमीजी की गई, उन्हें प्रताड़ित किया गया। रोज़गार का सवाल महिलाओं के लिए और भी महत्वपूर्ण सवाल है। महिलाएं बहुत मुश्किल से प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए घर से निकल पाती हैं और इस सरकार में बड़े स्तर पर हो रहे पेपर लीक से उन्हें सबसे ज्यादा समस्या झेलनी पड़ती है। यह सरकार अब बहुत दिन टिकने वाली नहीं है, 2022 में उत्तर प्रदेश में युवा बदलाव चाहता है।”

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता

आइसा प्रदेश अध्यक्ष शैलेश पासवान ने कहा कि, ” युवा शक्ति अपने अस्तित्व यानि कि रोज़गार के लिए आज लड़ रही है, मुझे इस बात की खुशी है। यह लड़ाई एक वर्ग की लड़ाई नहीं है बल्कि देश बचाने की लड़ाई है। अम्बेडकर के प्रसिद्ध उद्धरण को याद करते हुए उन्होंने कहा कि भारतीय जनतंत्र को सामाजिक और आर्थिक जनतंत्र में बदलना था लेकिन आज राजनीतिक जनतंत्र की लड़ाई ही केंद्र में है, जोकि दुर्भाग्यपूर्ण है।

स्वतंत्रता आंदोलन के मूल्यों को बचाये रखने की लड़ाई आज चल रही है और उसका नेतृत्व युवा वर्ग कर रहा है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, स्वास्थ्य हर पैमाने पर देश नीचे आ गया है। मिश्रित अर्थव्यवस्था के हमारे आदर्श को ध्वस्त करके निजीकरण की आंधी चलाई जा रही है।मार्च में मुख्य रूप से आइसा, इनौस, रालोद युवा मोर्चा, युवा हल्ला बोल, संग्राम अधिकार पार्टी, एआईएसएफ, न्याय मोर्चा, नई शिक्षक भर्ती, आरक्षण घोटाला आदि संगठनों व आंदोलनों के नेतागण शामिल रहे।

अभियान की प्रमुख मांगे इस प्रकार हैं:

◆25 लाख सरकारी पदों को तत्काल भरो व सभी बेरोजगार नौजवानों को रोजगार न मिलने तक 10 हजार रुपया बेरोजगारी भत्ता दो।
◆प्राथमिक शिक्षकों के लगभग 3:30 लाख पद खाली हैं तत्काल 97000 पदों पर नई शिक्षक भर्ती घोषित करो।
◆ 69000 शिक्षक भर्ती आरक्षण घोटाले की जांच कर  आरक्षित पदों पर गैर आरक्षित अभ्यर्थियों की नियुक्ति रद्द करके आरक्षित वर्ग को दिए जाने वाले सामाजिक न्याय की गारंटी करो।
◆ टीईटी समेत अन्य कई प्रतियोगी परीक्षाओं में हुए पर्चा लीक/ धांधली आदि की जांच कराकर दोषियों को सजा दो।
◆यूपीएसएसएससी द्वारा विज्ञापित JE 2016,2018 की परीक्षा तिथि तत्काल घोषित करने समेत विभिन्न सवालों को तत्काल हल किया जाए।

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