पोस्टपे ने देवनागरी लिपि में ‘पे’ डिवाइस मार्क के लिए फोनपे के ट्रेडमार्क रद्द कराने उठाए यह कदम

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यह कार्रवाई देवनागरी लिपि में ‘पे’ डिवाइस मार्क के लिए फोनपे के ट्रेडमार्क रद्द करने के लिहाज से की गई है।

मुम्बई। रेजिलिएंट इनोवेशंस प्राइवेट लिमिटेड (भारतपे) ने फोनपे प्राइवेट लिमिटेड के अनेक पंजीकरणों को रद्द करने के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय के बौद्धिक संपदा प्रभाग के समक्ष 6 कैंसिलेशन एक्शंस दायर किए हैं। कंपनी ने अपने काउंसल सिम और सैन, अटॉर्नी एट लॉ के माध्यम से यह याचिका दायर की है।

यह कार्रवाई देवनागरी लिपि में ‘पे’ डिवाइस मार्क के लिए फोनपे के ट्रेडमार्क रद्द करने के लिहाज से की गई है। रेजिलिएंट इनोवेशंस ने हाल ही में ‘पोस्टपे’ ट्रेडमार्क के तहत ‘अभी खरीदें बाद में भुगतान करें’ ऐप लॉन्च किया है।

रेजिलिएंट इनोवेशंस (भारतपे) के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘‘ट्रेडमार्क की शुद्धता बड़े पैमाने पर जनता के हित में है। भारत जैसे देश में भुगतान सेवाओं से संबंधित वर्गों में देवनागरी लिपि में ‘पे’ डिवाइस मार्क के लिए एक ट्रेड मार्क लेकर, जहां हिंदी जनता की प्राथमिक भाषा है, फोनपे ने व्यापक जनहित के खिलाफ काम किया है, और रेजिलिएंट इनोवेशंस इसे पूर्ववत करने के लिए प्रतिबद्ध है।

‘फोनपे देवनागरी लिपि में ‘पे’

प्रवक्ता ने कहा, ‘‘फोनपे देवनागरी लिपि में ‘पे’ डिवाइस मार्क के लिए अपने पंजीकरण को अंग्रेजी शब्द “Pe” / “Pay” के समकक्ष होने का दावा कर रहा है। फोनपे ने लगभग इसी प्रकार की स्थिति रेजिलिएंट द्वारा ‘पोस्टपे’ चिह्न के उपयोग के खिलाफ हाल ही में फोनपे द्वारा बॉम्बे हाई कोर्ट में दायर एक मामले में ली गई थी।

वर्तमान में इस मामले को फोनपे ने वापस ले लिया है। भले ही दिल्ली उच्च न्यायालय और बॉम्बे उच्च न्यायालय दोनों ने प्रथम दृष्टया फोनपे के दावे को गलत पाया हो, लेकिन रेजिलिएंट ने रद्दीकरण की इन कार्रवाइयों को लेकर याचिका दायर की गई है, ताकि डिजिटल भुगतान की दुनिया में सभी हितधारकों को समान अवसर प्रदान किया जा सके और हमेशा के लिए इन विवादों का निपटारा हो सके।

इस साल की शुरुआत में, दिल्ली उच्च न्यायालय ने अंतरिम चरण में ‘पे’ शब्द पर विशिष्टता के फोनपे के दावे को खारिज कर दिया था। हाल ही में बॉम्बे हाईकोर्ट ने भी ‘पे’ शब्द पर विशिष्टता के फोनपे के दावे को अंतरिम चरण में खारिज कर दिया था। दोनों न्यायालयों ने नोट किया कि ‘पे’ शब्द एक ट्रेड मार्क स्टैंडअलोन के रूप में संरक्षण के लिए प्रथम दृष्टया काबिल नहीं था।

रेजिलिएंट के प्रवक्ता ने दिया तर्क

स्वदेशी कंपनी रेजिलिएंट में फोनपे जैसी विदेशी-वित्त पोषित संस्थाओं से निपटने के लिए पर्याप्त क्षमता, बाहुबल और प्रेरणा हो सकती है, लेकिन अनेक ‘उभरते उद्यमी’ ऐसे हैं, इस तरह के दबाव के आगे झुक सकते हैं। बाजार में ऐसे वास्तविक खिलाड़ियों की सुरक्षा के लिए, रेजिलिएंट ने इन रद्दीकरण कार्रवाइयों को दर्ज करके इस मुद्दे को शुरू में ही समाप्त करने का निर्णय लिया है।

रेजिलिएंट की जानकारी में वर्तमान में भारत के बाजार में दस से अधिक डिजिटल भुगतान प्रोडक्ट्स उपलब्ध हैं और इनकी संख्या लगातार बढ़ रही है। इस क्षेत्र में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना वांछनीय है, न कि केवल व्यक्तिगत लाभ को देखना, जो कि फोनपे जैसी कंपनियों की आदत बन गई है।

हमें उम्मीद है कि फोनपे कम से कम अब सच्चाई को समझने की कोशिश करेगा, और भारतीय बाजार में अपने गलत और दुर्भावनापूर्ण तरीके से प्रेरित एजेंडे को छोड़ देगा।

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