यूं हुआ था मां चंद्रघंटा का अवतार, ऐसे करें मां को प्रसन्न

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नौ दिनों तक चलने वाले इस पर्व में मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा—अर्चना होती है। नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा के स्वरूप की पूजा की जाती है।

लखनऊ।। नवरात्रि पर्व की देश भर में धूम है। नौ दिनों तक चलने वाले इस पर्व में मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा—अर्चना होती है। नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा के स्वरूप की पूजा की जाती है। पुरोहितों के मुताबिक मां चंद्रघंटा की पूजा के बाद आरती अवश्य करनी चाहिए। बताया जाता है कि आरती करने से व्यक्ति के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और हर तरह के सुख की प्राप्ति होती है। साथ ही सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। शास्त्रों में उल्लेख है कि मां चंद्रघंटा पापों का नाश और राक्षसों का वध करती हैं। मां के स्वरूप की बात करें तो मां चंद्रघंटा के हाथों में तलवार, त्रिशूल, धनुष और गदा होता है। उनके सिर पर अर्धचंद्र घंटे के आकार में विराजमान होता है इसलिए मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप को चंद्रघंटा का नाम दिया गया है। ऐसी मान्यता है कि नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा करते समय उपासक को सुनहरे या पीले रंग के वस्त्र पहनने चाहिए। बताया जाता है कि मां को खुश करने के लिए सफेद कमल और पीले गुलाब की माला भी अर्पित कर सकते हैं। कहते हैं कि ये मां की प्रिय चीजें हैं।

मां चंद्रघंटा के अवतार की ये है कथा
शास्त्रानुसार मां दुर्गा ने अपने तीसरे स्वरूप का अवतार तब लिया, जब असुरों का आतंक बढ़ गया था और उन्हें सबक सिखाना जरूरी हो गया था। राजा इंद्र का सिंहासन दैत्यों के राजा महिषासुर हड़पना चाहता था। इस वजह से देवताओं और दैत्य की सेना के बीच में युद्ध छिड़ गया। राजा महिषासुर स्वर्ग लोक पर अपना राज कायम करना चाहता था और इसी कराण सभी देवता परेशान थे। परेशान होकर सभी देवता त्रिदेव के पास पहुंचे। इसके बाद उन्होंने त्रिदेव को सारी बात बताई। उन्हें सुनकर त्रिदेव क्रोधित हो गए और तुरंत ही उनकी समस्या का हल निकाल लिया। ब्रह्मा, विष्णु और महेश के मुख से ऊर्जा उत्पन्न हुई, जिसने देवी चंद्रघंटा का रूप ले लिया। देवी को भगवान शिव ने त्रिशूल, भगवान विष्णु ने चक्र, देवराज इंद्र ने घंटा, सूर्य देव ने तेज और तलवार और बाकी देवताओं ने अपने अस्त्र और शस्त्र दिए। जिसके बाद देवी का नाम चंद्रघंटा रखा गया। देवताओं की समस्या हल करने और उन्हें बचाने के लिए मां चंद्रघंटा महिषासुर के पास पहुंच गईं। मां चंद्रघंटा को देखते ही महिषासुर ने उन पर हमला कर दिया। जिसके बाद मां चंद्रघंटा ने महिषासुर का संहार कर दिया। बताया जाता है कि नवरात्रि के तीसरे दिन मां की आरती के बाद इन मंत्रों का जाप भी अवश्य करना चाहिए। आइए जानते हैं मां की आरती और मंत्र के बारे में …

यूं करें मां चन्द्रघंटा की आरती
वरात्रि के तीसरे दिन चंद्रघंटा का ध्यान।
मस्तक पर है अर्ध चंद्र, मंद मंद मुस्कान।।

दस हाथों में अस्त्र शस्त्र रखे खडग संग बांद।
घंटे के शब्द से हरती दुष्ट के प्राण।।

सिंह वाहिनी दुर्गा का चमके स्वर्ण शरीर।
करती विपदा शांति हरे भक्त की पीर।।

मधुर वाणी को बोल कर सबको देती ज्ञान।
भव सागर में फंसा हूं मैं, करो मेरा कल्याण।।

नवरात्रों की मां, कृपा कर दो मां।
जय मां चंद्रघंटा, जय मां चंद्रघंटा।।

मां चंद्रघंटा के ये हैं मंत्र

पिण्डजप्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकेर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता।।

या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

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