एसयूसीआई (सी) ने दूरसंचार क्षेत्र में 100 फीसदी एफडीआई और उनके बकाये के भुगतान पर रोक का किया पुरजोर विरोध।
नई दिल्ली। एसयूसीआई (कम्युनिस्ट) के महासचिव प्रभास घोष ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि दूरसंचार में ऑटोमेटिक रूट के जरिये 100 फीसदी एफडीआई (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) की अनुमति दिये जाने संबंधी भाजपा नीत केन्द्र सरकार के उस फैसले का पुरजोर विरोध करते हैं, जिसके तहत इस क्षेत्र में निवेश के लिए विदेशी निवेशकों को सरकार से किसी पूर्व अनुमोदन की आवश्यकता नहीं होगी, बल्कि उन्हें निवेश के बाद भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को केवल सूचित कर देना होगा। उन्होंने कहा कि जहां सरकार उत्तरोत्तर कंगाल हो रहे आम लोगों पर भारी अप्रत्यक्ष कर थोप रही है और सरकारी उद्यम बीएसएनएल को साजिशतन बीमार बना दिया गया है, वहीं उसने ब्रिटिश दूरसंचार कंपनी वोडाफोन को 50,399,63 करोड़ रुपये के बकाये के भुगतान पर तथा निजी क्षेत्र की दूरसंचार कंपनियों भारती एयरटेल, रिलायंस जियो और वोडाफोन आइडिया को ‘गहरे और व्यापक’ सुधार के बहाने मदद करने के उद्देश्य से एयरवेव के भुगतान पर चार साल की मोहलत दे दी है।
उन्होंने कहा कि देशी-विदेशी निजी एकाधिकार पूंजीपतियों के लिए दूरसंचार क्षेत्र को पूरी तरह से खोल देने के इस कदम से टेलीफोन शुल्कों में भारी वृद्धि होगी, जिसकी मार आम लोगों पर पड़ेगी।