अयोध्या। भाजपा सरकार द्वारा अयोध्या की ब्राडिंग करने के लिए समय -समय पर विभिन्न कार्यक्रम कराए जाते रहते है। इस क्रम में फिल्मी सितारों से सजी मंडलीय द्वारा अयोध्या में संतों की रामलीला होने जा रही है। फिल्मी सितारों की जीवनशैली की वजह से अयोध्या के सतों ने उनके द्वारा रामलीला का मंचन करना रास नहीं आ रहा है। अयोध्या के संतों ने मंगलवार को एक बैठक करके इसका विरोध जताने के लिए बैठक में रणनीति बनाई।
संतों का कहना है कि 17 सितंबर को सतों का एक प्रतिनिधिमंडल सीएम से मिलकर इसका विरोध जताया। प्रस्तावित कार्यक्रम के अनुसार 6 से 15 अक्टूबर तक अयोध्या में फिल्मी सितारों की रामलीला होनी है। इस कार्यक्रम का भूमिपूजन लक्ष्मण किला के मैदान पर कानून मंत्री बृजेश पाठक ने किया। संतों का कहना है कि उनका विरोध रामलीला को लेकर नहीं बल्कि उसके मंचन के तरीके को लेकर है।
अयोध्या की रामलीला में फिल्मी सितारों के शामिल होने पर संत समाज नाराज है।संत समाज का कहना है की अगर सरकार इस पर ध्यान नहीं देगी तो 17 सितंबर को संत समाज का एक प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री से मुलाकात कर इसका विरोध करेगी। इस संबंध में बड़ा भक्तमाल मंदिर में मंगलवार को संतों की एक बैठक भी हुई, बैठक में फिल्मी सितारों की रामलीला के विरोध में रणनीति बनाई गई। इस बैठक में बड़ा भक्तमाल के महंत अवधेश दास ने कहा कि अयोध्या की रामलीला के नाम पर भद्दा प्रदर्शन बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। हम शराब और मांस खाने वाले कलाकारों का विरोध कर रहे हैं।
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महंत अवधेश दास ने कहा कि पिछले वर्ष अयोध्या की रामलीला में मंच पर नारद ने मुगलिया शेरवानी व नागरिया जूता पहन रखा था जो नारद की वेशभूषा रही ही नहीं है।अयोध्या मर्यादित नगरी है यहां इस तरह की रामलीला नहीं चलेगी और इसका विरोध होगा। अयोध्या में उपासना,साधना मर्यादा,सनातन की रामलीला होनी चाहिए न की फिल्मी सितारों की रामलीला। क्योंकि फिल्मी दुनिया के लोग धर्म का सत्यानाश कर रहे हैं, ऐसे लोगों को धार्मिक कार्यक्रमों से दूर रहना चाहिए जे धर्म का पालन नहीं करते।
रामलीला के स्वरूप से छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं
कथा व्यास पवन शास्त्री का कहना है कि रामलीला का स्वरूप नहीं बिगाड़ा जाए। सरकार अगर हमारे आराध्य के चरित्र की परिभाषा तय करे तो यह उचित नहीं है और अयोध्या का संत इसको पसंद नही करेगा। जानकीघाट बड़ा स्थान के महंत जनमेजय शरण ने भी फिल्मी हस्तियों की वर्चुअल रामलीला का विरोध किया। उन्होंने कहा कि रामलीला का विरोध नहीं है बल्कि रामलीला के उपहास का विरोध है। रामानंद सागर की रामलीला को आज भी पसंद किया जा रहा है, लेकिन फिल्मी सितारों की रामलीला में भक्ति का भाव नहीं बल्कि एक तरह का उपहास होता है।
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