लखनऊ। यूपी की राजधानी लखनऊ के आईएमए रोड स्थित बड़ी भुय्यन देवी माता मंदिर में शनिवार को भव्य भंडारे का आयोजन हुआ, जिसमें हजारों श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण कर अपने को तृप्त किया। इस मौके पर भजन—कीर्तन का भी आयोजन किया गया। साथ ही यहां भारी संख्या में साधू-संतों का भी जमावड़ा रहा।
दरअसल मंदिर परिसर बीते 105 दिनों से तपस्वी-योगी नागा साधू आनंद गिरि के कठोर तप का साक्षी बना रहा। विश्व कल्याण की भावना से यहां कठोर साधना कर रहे नागा साधू आनंद गिरी महाराज की कठोर साधना आज पूर्णाहूति के साथ संपन्न हो गई। इसके उपरान्त यहां भव्य भंडारे का आयोजन हुआ, जिसमें हजारों की संख्या में पहुंचे श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया। इससे पहले यहां आचार्य अनिल पाण्डे के नेतृत्व में पूरे विधि-विधान के साथ पूजा अर्चना का कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। इस मौके पर भारी संख्या में साधू-संत भी यहां मौजूद रहे।
गौरतलब है कि यहां आईएमए रोड के सरौरा में स्थित माता बड़ी भुय्यन देवी मंदिर परिसर में माता सेवक तपस्वी नागा साधू आनंद गिरि द्वारा 105 दिनों तक कठोर साधना की गई। यह अनुष्ठान बीते 30 मई से आरम्भ हुआ, जो 11 सितम्बर को पूर्णाहूति व भव्य भंडारे के आयोजन के साथ संपन्न हो गया। अनुष्ठान के तहत हठ योग व जप योग के जरिए विश्व कल्याण के लिए की ईश्वर की उपासना की गई।
वहीं 105 दिन के पूरे अनुष्ठान के दौरान तपस्वी नागा साधू आनंद गिरि ने अन्न ग्रहण नहीं किया। भोजन से दूर रहकर उन्होंने सिर्फ पेय पदार्थ यानि मठ्ठे व अन्य पेय पदार्थ का ही सेवन किया, वो भी 24 घंटे में सिर्फ एक बार। वहीं ग्रामीणों का कहना है कि बाबा ने मानव कल्याण को अपना जीवन समर्मित कर रखा है। ऐसे में कठोर तप के माध्यम से वह अपने विश्व कल्याण के संकल्प को पूर्ण कर रहे हैं।
ग्रामीणों का मानना है कि उनका यह कठोर तप कोरोना जैसी विश्व त्रासदी से विश्व व भारत को उबारने के लिए किया गया। इस पूरे अनुष्ठान के दो चरण रहे। पहला चरण जिसमें हठ योग के जरिए सूर्य देव की उपासना की गई। इसके लिए यहां माटी का एक गोल टीला निर्मित किया गया था, इसके चारों ओर गड्ढा बनाया गया। साथ ही इसके चारों ओर उपलों के द्वारा अग्नि जलाई जाती और तपस्वी नागा साधू आनंद गिरि इसके मध्य में बैठ सूर्य देव से प्रार्थना करते।बताया गया कि यह प्रक्रिया सूर्यदेव की बढ़ती तपिश के साथ तब तक चलती रहती, जब तक कि सूर्य देव की तपिश अपने चरम से नीचे न उतरने लगे। बताया गया कि अनुष्ठान का दूसरा चरण जप योग का रहा। यह रात्रि के समय आरंभ होता था। यह रात्रि 2 बजे से आरम्भ होता। इसमे माता सेवक तपस्वी नागा साधू आनंद गिरि मंत्र जप द्वारा अपनी साधना करते थे।
इधर नागा साधू आनंद गिरि बताते हैं कि उनका जीवन विश्व कल्याण के लिए समर्पित है। यहां सनातन धर्म की स्थापना ही उनके इस लौकिक जीवन का मुख्य उद्देश्य है। वहीं अंतिम दिन साधना पूर्ण होने के उपरान्त उन्होंने बताया गया कि पूर्णाहूति व भव्य भंडारे के साथ उनका अनुष्ठान संपन्न् हो गया। इस अवसर पर यहां भारी संख्या में साधू-संत व श्रद्धालु मौजूद रहे।