जौनपुर। गणपति महोत्सव की आज से धूम रहेगी। देशभर में आज से गणेश जी की पूजा— अर्चना का दौर शुरू हो गया। आज ब्रह्म और रवियोग में गणपति स्थापना होगी। गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की विधि-विधान से पूजा की जाती है। गणेश चतुर्थी के दिन पूजन का शुभ मुहूर्त 12 बजकर 17 मिनट पर अभिजीत मुहूर्त से शुरू होगा और रात 10 बजे तक पूजन का शुभ समय रहेगा।
विद्वानों के अनुसार इस साल गणेश चतुर्थी पर भद्रा का साया नहीं रहेगा। गणेश चतुर्थी के दिन 11 बजकर 09 मिनट से 10 बजकर 59 मिनट तक पाताल निवासिनी भद्रा रहेगी। शास्त्रों के अनुसार, पाताल निवासिनी भद्रा का योग शुभ माना जाता है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की कृपा से सुख-शांति और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
गणेश चतुर्थी शुभ मुहूर्त
- ब्रह्म मुहूर्त- सुबह 04:31 से सुबह 05:17
- अभिजित मुहूर्त- सुबह 11:53 से दोपहर 12:43
- विजय मुहूर्त- दोपहर 02:23 से दोपहर 03:12
- गोधूलि मुहूर्त- शाम 06:20 से शाम 06:44
- अमृत काल- 06:59 बजे से 08:28 बजे तक
- रवि योग- सुबह 06:04 से दोपहर 12:58
पूजा- विधि
- इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें।
- स्नान करने के बाद घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
- इस दिन गणेश जी की प्रतिमा की स्थापना की जाती है।
- गणपित भगवान का गंगा जल से अभिषेक करें।
- गणपति की प्रतिमा की स्थापना करें।
- संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें।
- गणेश पूजा में सबसे पहले गणेश जी का प्रतीक चिह्न स्वस्तिक बनाया जाता है। गणेशजी प्रथम पूज्य देव हैं, इस कारण पूजन की शुरुआत में स्वस्तिक बनाने की परंपरा है।
- भगवान गणेश को पुष्प अर्पित करें।
- भगवान गणेश को दूर्वा घास भी अर्पित करें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार दूर्वा घास चढ़ाने से भगवान गणेश प्रसन्न होते हैं।
- भगवान गणेश को सिंदूर लगाएं।
- भगवान गणेश का ध्यान करें।
- गणेश जी को भोग भी लगाएं। आप गणेश जी को मोदक या लड्डूओं का भोग भी लगा सकते हैं।
भगवान गणेश की आरती जरूर करें।
पूजा सामग्री लिस्ट
भगवान गणेश की प्रतिमा,लाल कपड़ा, दूर्वा,जनेऊ,कलश,नारियल,पंचामृत,पंचमेवा,गंगाजल,रोली,मौली लाल
पूजा के समय ऊं गं गणपतये नम: मंत्र का जाप करें। प्रसाद के रूप में मोदक और लड्डू वितरित करें।
गणपति बप्पा को लगाएं भोग
गणेश जी को पूजन करते समय दूब, घास, गन्ना और बूंदी के लड्डू अर्पित करने चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से भगवान गणेश प्रसन्न होते हैं और अपना आशीर्वाद प्रदान करते हैं। कहते हैं कि गणपति जी को तुलसी के पत्ते नहीं चढ़ाने चाहिए। मान्यता है कि तुलसी ने भगवान गणेश को लम्बोदर और गजमुख कहकर शादी का प्रस्ताव दिया था, इससे नाराज होकर गणपति ने उन्हें श्राप दे दिया था।
शुभ चौघड़िया में स्थापना का समय
सुबह 6.10 से 10.40 तक (चर, लाभ और अमृत)
दोपहर 12.25 से 1.50 तक (शुभ)
शाम 05 से 6.30 तक (चर)
मिट्टी के गणेश शुभ
विद्वानों के अनुसार गणेश जी की मूर्ति मिट्टी की होनी चाहिए, क्योंकि मिट्टी में स्वाभाविक पवित्रता होती है। और पूजा अर्चना के बाद मिट्टी की गणेश प्रतिमा पंचतत्व में आसानी से विलिन हो जाती है। क्योंकि मिट्टी की प्रतिमा में भूमि, जल, वायु, अग्नि और आकाश के अंश मौजूद होते हैं। इसलिए उसमें भगवान का आह्वान और उनकी प्रतिष्ठा करने से कार्य सिद्ध होते हैं।
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