
लखनऊ। अब तक स्टूडेंट्स को ऑनलाइन पढ़ाना काफी लाभदायक साबित हुआ है लेकिन शिक्षक समुदाय के लिए पिछला डेढ़ साल इतना आसान नहीं था। यह मुश्किल वक्त फ्यूचर लाइन वर्कर्स यानी स्कूल मालिकों के गुमनाम प्रयासों के लिए पूरी तरह से ‘आउट ऑफ सिलेबस’ था। इन स्कूल मालिकों ने टीचर्स के लिए एक मेंटर और स्टूडेंट्स के लिए एक एजुकेटर का काम किया। शिक्षकों को स्मार्टफोन और लैपटॉप जैसे डिवाइसेज का इस्तेमाल सीखना पड़ा। उन्हें डिजिटल सॉफ्टवेयर और अन्य प्लेटफॉर्मों के प्रयोग में कुशल बनना पड़ा। उन्हें शिक्षण के क्षेत्र में स्टूडेंट्स की पढ़ाई बेरोकटोक करने के लिए पढ़ाने के नए-नए तरीकों का प्रयोग करना पड़ा।
स्कूल के मालिकों ने शिक्षकों को लगातार सशक्त बनाना जारी रखा। उन्होंने पैरंट्स को आश्वस्त किया और स्टूडेंट्स की नए माहौल में सीखने और उन्हें नए वातावरण में एडजस्ट करने में मदद की। इसके लिए काफी नए-नए तरीके ईजाद किए गए। एडटेक (एजुकेशन टेक्नोलॉजी) लीड, जोकि देशभर में के-12 सेगमेंट में 2000 से अधिक स्कूलों को पावर करता है, ने भारत के शिक्षकों तक पहुंच बनाई ताकि महामारी के दौरान उनके सामने आ रही चुनौतियों को समझा जा सके और स्कूल दोबारा खुलने पर प्रभावी शिक्षण की दिशा में उनकी अपेक्षाओं के बारे में जानकारी मिल सके। धर्मशाला के कई टीचर्स यह महसूस करते हैं कि उन्हें स्टूडेंट्स को पढ़ाने के लिए तकनीक को अपनाना पड़ा। महामारी के दौरान अपने अनुभवों को याद करते हुए दाबले कॉलेज की प्रोफेसर मिस दिव्या ने कहा, “महामारी के चलते स्कूल बंद होने के बावजूद बच्चों में पढ़ने की काफी लगन थी। इससे हम लोगों में ऑनलाइन क्लासेज कंडक्ट करने के प्रति आत्मविश्वास आया। इससे हम बच्चों को प्रभावशाली ढंग से पढ़ा सके।
शिक्षण के ऑनलाइन मोड ने हमें नए अनुभव प्रदान किए।“ श्री रामस्वरूप मेमोरियल पब्लिक स्कूल की एक अन्य शिक्षिका नंदिनी लाहिड़ी ने कहा, “शुरुआत में किसी विषय को स्क्रीन पर समझाना काफी मुश्किल था। हमें महसूस हुआ कि स्टूडेंट्स को भी उन्हें सीखने और समझने में परेशानी आ रही है तो हमने मल्टी मोड के नजरिये को अपनाया। पढ़ाई के ऑनलाइन सेशन को मजेदार बनाने के लिए हमने फोटो, विडियो प्रजेंटेशन और ग्राफिक्स का भी सहारा लिया।”