लखनऊ। प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ राही मासूम रज़ा के 94 वें जन्म दिवस के अवसर पर डॉक्टर राही मासूम रज़ा साहित्य अकादमी द्वारा एक ऑनलाइन सभा आयोजन किया गया। जिसका प्रसारण फेसबुक, यू ट्यूब सहित अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डॉ राही मासूम रज़ा साहित्य अकादमी की संरक्षक डॉ नमिता सिंह ने कहा कि आज राही के व्यक्तित्व, उनके विचारों और चिंताओं को याद करना हमारी जरूरत है।
उनका सारा साहित्य भारतीयता की तलाश में है। राही की चिंता थी कि इस मुल्क में हिंदू हैं, मुसलमान हैं, सिख है, पारसी हैं परंतु हिंदुस्तानी कहां है? देश के अंदर गुजराती हैं, मराठी हैं ,बंगाली हैं, बिहारी हैं, मद्रासी हैं परंतु भारतीय कहां है ? नमिता सिंह जी ने कहा कि महाभारत में उनके लिखे संवादों ने जन – जन के शब्दों को बदल दिया।डॉ राही मासूम रजा साहित्य अकादमी के महामंत्री श्री राम किशोर ने अकादमी की वार्षिक रपट को प्रस्तुत करते हुए कहा कि राही ने स्पष्ट रुप से कहा था कि राजनीति में मज़हब को घुसपैठ की इजाजत नहीं मिलनी चाहिए क्योंकि न भारतीय समाज किसी मज़हब की जागीर है, न भारतीय राजनीति। उन्होंने कहा कि राही कहते हैं “देश प्रेम से बड़ा कोई धर्म नहीं, देश कल्याण से अधिक अर्थ पूर्ण कोई स्वप्न नहीं, देश हित से अधिक महत्वपूर्ण कोई हित नहीं।”राम किशोर ने कहा कि राही मासूम रज़ा कहते हैं ‘मेरा देश प्रेम चुनाव जीतने के लिए नहीं है। मेरा देश प्रेम हिन्दू-मुसलमान दंगे करवाने के लिए नहीं है। मेरा देश प्रेम मेरे जीने का ढंग है, मेरे जीने का आधार है। मेरे लिए देश केवल एक शब्द नहीं है।’
लखनऊ विश्वविद्यालय के एन्थोपैलाजी विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉ नदीम हसनैन ने डॉ राही मासूम रजा की शायरी पर विस्तृत चर्चा की और कहा कि राही मूलतः एक शायर थे।वरिष्ठ साहित्यकार अलका प्रमोद ने राही मासूम रज़ा के जीवन संघर्षों की चर्चा की और कहा कि राही मासूम रज़ा ने अपने लेखन से धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र के मूल्यों को ताकत प्रदान की।सभा में सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव द्वारा वरिष्ठ साहित्यकार , प्रगतिशील लेखक संघ के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष प्रो अली जावेद साहब के निधन पर शोक प्रकट किया गया।अकादमी की अध्यक्षा वन्दना मिश्र ने धन्यवाद ज्ञापन व संचालन अकादमी की संस्थापक सदस्य राजुल ने किया।