ब्राह्मणों को लुभाने बसपा खुशी दुबे को जेल से छुड़ाने लड़ेगी कानूनी लड़ाई

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BSP will fight a legal battle to get Khushi Dubey out of jail to woo Brahmins
शादी के आठ दिन बाद ही खुशी दुबे विधवा हो गई थी, इसके बाद से जेल में बंद है।

कानपुर। दलित बसपा के गठजोड़ से सत्ता का सुख चखने वाली मायावती ​को फिर ब्राह्मणों की चिंता सताने लगी। ब्राह्मणों को लुभाने के लिए मायावती प्रदेश में जहां एक तरफ ब्राह्म्ण सम्मेलन कर रही है, वहीं बिकरू कांड के जिम्मेदार विकास दुबे की पत्नी खुशी को जेल से छुड़ाने के लिए कानूनी लड़ाई-लड़ने का मन बना चुकी है।

बसपा 23 जुलाई को अयोध्या में ब्राह्मण सम्मेलन करने जा रही है। ब्राह्मण सम्मेलन से पहले पार्टी नेता और पूर्व मंत्री नकुल दुबे ने एलान किया कि बिकरू कांड में आरोपी बनाई गई खुशी दुबे की रिहाई की लड़ाई बसपा लड़ेगी। आपकों बता दें कि खुशी दुबे कुख्यात विकास दुबे के भतीजे अमर की पत्नी है। बिकरू कांड के बाद पुलिस मुठभेड़ में विकास और अमर दोनों को मार दिया गया था।

नकुल दुबे ने कहा कि बिकरू कांड के बाद खुशी पर हत्या और आपराधिक साजिश समेत आईपीसी की गंभीर धाराओं में मामला दर्ज किए जाने के बाद उसके परिजनों ने कानपुर देहात की विशेष अदालत में हलफनामा पेश कर दावा किया था कि वह नाबालिग है। उसके अधिवक्ता ने भी दलील दी थी कि बिकरू कांड से महज तीन दिन पहले उसकी अमर से शादी हुई थी। इसलिए साजिश में उसकी कोई भूमिका नहीं है। इसके बाद भी आठ जुलाई 2020 से जेल में बंद खुशी को जमानत नहीं मिली है। वरिष्ठ वकील और बसपा महासचिव सतीश मिश्र खुशी का केस लड़ेंगे और उसकी रिहाई की मांग करेंगे।

इस मामले में खुशी दुबे के अधिवक्ता शिवकांत दीक्षित ने कहा, मुझे किसी पार्टी विशेष में दिलचस्पी नहीं है। खुशी दुबे की रिहाई की लड़ाई में यदि कोई हमारा साथ देना चाहता है तो उसका स्वागत है। हालांकि, मुझसे अभी तक किसी ने संपर्क नहीं किया है। इसके साथ ही कहा कि किशोर न्याय बोर्ड ने खुशी के नाबालिग होने की पुष्टि कर दी है। इसके बाद भी उसे जमानत नहीं मिली है।

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