पंजाब में उल्टा न पड़ जाए दांव, सिद्धू की ताज पोशी से कैप्टन आहत ले सकते है बड़ा फैसला

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Bets should not be reversed in Punjab, Captain can take a big decision with Sidhu's coronation
मुताबिक कैप्टन अमरिंदर सिंह सोमवार को यानि आज कोई बड़ा धमाका कर सकते हैं। कैप्टन का यह संभावित धमाका सीधे पार्टी हाईकमान को धाराशाही करेगा। अनुमान लगाया जा रहा है कि पंजाब में कैप्टन सरकार का कार्यकाल करीब छह माह ही बचा रह गया है, ऐसे में कैप्टन ने अगर कोई धमाका किया तो कांग्रेस हाईकमान की परेशानी बढ़ना तय है।

चंडीगढ़। इन दिनों देश की सबसे पुरातन पार्टी कांग्रेस के अच्छे दिन नहीं चल रहे है। मध्यप्रदेश से शुरू अंसतोष का विवाद धीरे-धीरे कई राज्यों तक में फैल गया। पार्टी हाईकमान जहां एमपी में इस असंतोष को समाप्त नहीं कर सकीं, नतीजा बहुमत में आई सरकार चली गई। एमपी से सबक लेते हुए कांग्रेस में मामले में को संभालने का पूरा जतन किया गया। इसके विपरित पंजाब में स्थिति बिगड़ती नजर आ रही है। जहां एक तरफ कांग्रेस ने सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह की इच्छा के खिलाफ जाते हुए पूर्व क्रिकेटर और राजनेता बने सिद्धु को प्रदेश की कमान सौंप ​दी। इससे पंजाब में अंसतोष तगड़ा हो गया। आपकों बता दें कि ​कैप्टन सिद्धु को कतई बर्दाश्त नहीं करते इस विषय में उन्होंने सोनिया गांधी को खुला पत्र लिखकर पंजाब की राजनीति से दूर रहने की चेतावनी दी थी, जिसे नजरअंदाज किया गया ।

गुप्त सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक कैप्टन अमरिंदर सिंह सोमवार को यानि आज कोई बड़ा धमाका कर सकते हैं। कैप्टन का यह संभावित धमाका सीधे पार्टी हाईकमान को धाराशाही करेगा। अनुमान लगाया जा रहा है कि पंजाब में कैप्टन सरकार का कार्यकाल करीब छह माह ही बचा रह गया है, ऐसे में कैप्टन ने अगर कोई धमाका किया तो कांग्रेस हाईकमान की परेशानी बढ़ना तय है। कांग्रेस हाईकमान ने जिस तरह कैप्टन को अनदेखा करते हुए नवजोत सिद्धू को प्रधान नियुक्त करने का एलान किया है, वह कैप्टन को बहुत नागवार गुजरा है। कैप्टन ने हाईकमान के फैसले का सम्मान करते हुए सिद्धू को प्रधान बनाने पर सहमति जता दी थी और एक मामूली शर्त यही रखी थी कि सिद्धू उन पर की गई अभद्र टिप्पणियों के लिए सार्वजनिक तौर पर माफी मांगें, तभी वे सिद्धू से बात करेंगे।

कैप्टन और सिद्धू के कद का अंतर समझें तो यह शर्त बहुत बड़ी नहीं थी, लेकिन हाईकमान ने कैप्टन को बहुत ही हल्के में ले लिया। अब उन्हें सिद्धू किसी भी कीमत पर प्रधान के रूप में मंजूर नहीं है और हाईकमान के अपने प्रति इस बर्ताव को कैप्टन ने अपमान के रूप में लिया है। 1984 के घटनाक्रम के बाद पंजाब कांग्रेस में जान फूंकने वाले और 2017 में जब पूरे देश में कांग्रेस का सफाया गया था, तो पंजाब में अपने बूते पर कांग्रेस की पूर्ण बहुमत वाली सरकार बनाने वाले कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ पार्टी हाईकमान ने मौजूदा मामले में जैसा सलूक किया है, कैप्टन उससे बुरी तरह आहत हुए हैं।

सिद्धू कैप्टन को पसंद नहीं

कांग्रेस हाईकमान ने न सिर्फ सिद्धू को बहुत ज्यादा तरजीह दे दी है, बल्कि अब तक प्रदेश कांग्रेस की बागडोर संभाल रहे नेताओं को सिरे से दरकिनार कर दिया है। हाईकमान ने सिद्धू के साथ जिन नेताओं को कार्यकारी प्रधान बनाया है, वह भी सिद्धू के पक्षधर रहे हैं। इस तरह प्रदेश कांग्रेस में अब कैप्टन और पुराने कांग्रेसियों का दबदबा खत्म हो गया है।कैप्टन के पक्ष में रविवार को दस विधायकों ने हाईकमान से आग्रह किया कि पार्टी कैप्टन को अनदेखा न करे और सिद्धू जब तक कैप्टन से सार्वजनिक तौर पर माफी नहीं मांगते तब तक उनकी नियुक्ति का एलान न किया जाए। लेकिन हाईकमान ने कैप्टन खेमे की कोई बात नहीं सुनी और देर शाम सिद्धू की नियुक्ति का पत्र जारी कर दिया गया।
पंजाब कांग्रेस के कई विधायकों ने मान लिया है कि पार्टी हाईकमान ने 2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत के सारे दरवाजे बंद कर लिए हैं।

इन विधायकों का मानना है कि पंजाब में कांग्रेस का एकमात्र चेहरा कैप्टन अमरिंदर सिंह ही हैं और उनके नेतृत्व में ही कांग्रेस अगले चुनाव में पूरे विश्वास के साथ उतर कर जीत हासिल कर सकती थी। विधायकों का यह भी कहना है कि सिद्धू प्रकरण के कारण राज्य कांग्रेस की जो छिछालेदार आम जनता के बीच अब तक हो चुकी थी, उसे भी कैप्टन ही सुधार सकते थे लेकिन नवजोत सिद्धू को कमान सौंपकर हाईकमान ने पार्टी को पटरी से उतार दिया है। दशकों से पंजाब में कांग्रेस के लिए तन-मन से समर्पित रहे नेता खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं। जहां एक तरफ कांग्रेस अंदरूनी कलह से जूझ रहीं वहीं बादल परिवार चुनावी बिसात बिछाने में मशगूल है। अब देखना यह है कि यहां कांग्रेस की क्या दशा होने वाली है।

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