शिमला। मनमोहन सरकार में इस्पात में मंत्री रहने वाले हिमाचल प्रदेश में 6 बार सत्ता पर काबिज होने वाले दिग्गज कांग्रेस नेता का गुरुवार सुबह इलाज के दौरान निधन हो गया। वीरभद्र सिंह की उम्र इस सयम 87 साल थी। वह लंबे समय से स्वास्थ्य संंबंधी समस्या से जूझ रहे थे। वीरभद्र सिंह का इलाज इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल शिमला में चल रहा था यह दुखद समाचार डॉ जनक राज ने दी है।
आपकों बता दें कि सोमवार को उनकी हालत बिगड़ने के कारण डॉक्टरों ने उन्हें वेंटीलेटर पर शिफ्ट कर दिया गया था। इसके बाद से उनकी हालत सुधार हुआ था। डॉक्टरों के अनुसार उनके फेफड़ों में हल्का संक्रमण पाया गया है। हालांकि आक्सीजन लेवल से लेकर उनके अन्य सभी टेस्ट की रिपोर्ट सामान्य थे। इस दौरान भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह से मिलने इंदिरा गांधी मेडिकल कालेज एवं अस्पताल (आइजीएमसी) शिमला गए थे।
6 बार बने थे हिमाचाल के सीएम
वीरभद्र सिंह छह बार हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके थे। दो बार उन्हें कोरोना संक्रमण भी हुआ, लेकिन वह स्वस्थ्य होकर घर पहुंच गए थें। 21 जून को दूसरी बार कोरोना से जंग जीती थी, लेकिन उन्हें सांस लेने में दिक्कत व अन्य बीमारियों के कारण उसी समय से आइजीएमसी शिमला में भर्ती किया हुआ था।
वह पांच बार सांसद भी रह चुके हैं। वर्तमान में सोलन जिले के अरकी से वो विधायक थे। पहली बार उन्हें 1983 में मुख्यमंत्री चुना गया था और 1990 तक दो बार इस पद पर रहे। इसके बाद 1993 से 1998, 2003 से 2007 और 2012 से 2017 के बीच वह राज्य के मुख्यमंत्री रहे।
1934 में हुआ था जन्म
वीरभद्र सिंह (जन्म 23 जून १1934) में हुआ था । उनके पिता का नाम पिता राजा पदम सिंह और उनकी माता का नाम श्रीमति शांति देवी था। उनका विवाह श्रीमति प्रतिभा सिंह के साथ सम्पन्न हुआ और उनके 1 बेटा और 4 बेटियां वीरभद्र सिंह ने स्नातकोत्तर तक की शिक्षा प्राप्त की है।
इस तरह रहा राजनीतिक कैरियर
- वीरभद्र सिंह 1962 में तीसरी लोकसभा के लिए चुने गए।
इसके बाद पुन: 1967 में चौथी लोकसभा के लिए चुने गए।
एक बार फिर 1972 में पाँचवीं लोकसभा के लिए चुने गए।
1980 में सातवीं लोकसभा के लिए चुने गए।
1976 में संयुक्त राष्ट्र महासभा के लिए भारतीय प्रतिनिधिमंडल के सदस्य बने।
दिसम्बर 1976 से मार्च 1977 तक भारत सरकार में पर्यटन और नागरिक उड्डयन के उपमंत्री नियुक्त हुए।1977, 1979 और 1980 में प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष बने रहे।
शिमला ग्रामीण निर्वाचन क्षेत्र से 20 दिसम्बर 2012 को राज्य विधान सभा के सदस्य चुने गए।
सितम्बर, 1982 से अप्रैल 1983 तक भारत सरकार में उद्योग मंत्री बने।
अक्टूबर 1983 और 1985 में जुब्बल – कोटखाई विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से राज्य विधानसभा के लिए चुने गए।1990, 1993, 1998, 2003 और 2007 में रोहड़ू निर्वाचन क्षेत्र से राज्य विधानसभा के लिए चुने गए।
8 अप्रैल, 1983 से 5 मार्च, 1990 तक हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री।
दिसंबर, 1993 से 23 मार्च, 1998 तक हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री।
वीरभद्र सिंह एक बार फिर 6 मार्च 2003 से 29 दिसंबर 2007 तक हिमाचल प्रदेश के मुख्य मंत्री रहे।
मार्च 1998 से मार्च 2003 तक राज्य विधान सभा में हिमाचल प्रदेश के विपक्ष के नेता।
25 दिसम्बर, 2012 को हिमाचल प्रदेश के छठे मुख्य मंत्री बने।।
2009 में वे मंडी संसदीय निर्वाचन क्षेत्र से हिमाचल प्रदेश से निर्वाचित हुए ।
मई 2009 से जनवरी 2011 तक वीरभद्र सिंह भारत सरकार में इस्पात मंत्री रहे। - वीरभद्र सिंह ने 19 जनवरी 2011 से जून 2012 तक भारत सरकार में लघु और मझौले उद्यम मंत्री के रूप में कार्य किया ।
26 अगस्त 2012 से हिमाचल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बने।
वीरभद्र सिंह आठ बार विधायक, छ: बार मुख्यमंत्री और पांच बार लोकसभा में बतौर सांसद रह चुके हैं।
मुख्यमंत्री कार्यकाल
वीरभद्र सिंह 8 अप्रैल 1983 से 5 मार्च 1990 तक, 3 दिसम्बर 1993 – 24 मार्च 1998 तक, 6 मार्च 2003 से 30 दिसम्बर 2007 तक, 25 दिसम्बर 2012 से 27 दिसम्बर 2017 तक मुख्यमंत्री पद पर रहे।उनके पिता का नाम पिता राजा पदम सिंह और उनकी माता का नाम श्रीमति शांति देवी था। उनका विवाह श्रीमति प्रतिभा सिंह के साथ सम्पन्न हुआ और उनके 1 बेटा और 4 बेटियां है।
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