केंद्र सरकार में यूपी का जलवा कायम, मिशन 2022 में मोदी के 15 मंत्री भरेंगे जीत की हुकार

703
UP's glory in the central government, 15 ministers of Modi will win the victory in Mission 2022
भाजपा के सहयोगी अपना दल की अनुप्रिया पटेल मीरजापुर से सांसद हैं।

लखनऊ। यूपी में 2022 में होने वाले विधानसभा में पार्टी को मजबूत करने के लिए न केवल यूपी भाजपा के जिम्मेदार हाथ पैर मा रहे है, बल्कि केंद्र सरकार में यूपी के दिग्गज नेताओं को जिम्मेदारी देकर मैदान मारने की कोशिश की जा रही है।

इसकी झलक मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के पहले विस्तार में देखने को मिली। मोदी मंत्रिमंडल में यूपी से सात नए चेहरों को शामिल किया गया है। इन नए राज्य मंत्रियों के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित कुल 15 मंत्रियों की भागीदारी से केंद्र सरकार में यूपी का दबदबा पहली बार इतना बढ़ा है।उतना शायद पहले कभी रहा होगा। अब 2022 में होने वाले चुनाव में यह मंत्री अपने-अपने क्षेत्र में जीत का बीज बोएंगे ताकि योगी सरकार की वापसी हो सकें। बुधवार को जब नए मंत्रियों के शपथ का सिलसिला शुरू हुआ सबकी नजर यूपी से आने वाले चेहरों पर थी।

क्यों​कि पश्चिम बंगाल हारने के बाद भाजपा को सबसे बड़ी अग्नि परीक्षा 2022 में यूपी में ही देनी है। ऐसे में इन नेताओं को जमीन पर उतारने के जिम्मेदारी सौंपनी जरूरी थी। इसलिए क्षेत्रीय संतुलन के साथ ही जातियवाद को आगे बढ़ाकर मिशन 2022 की चाल की चली गई।अब यह मोहरे कितने कारगर सिद्ध होंगे यह तो आने वाले इंतिहान का परिणाम ही बताएगा।

इस तरह है यूपी की भागीदारी

पीएम मोदी की कैबिनेट में यूपी  कोटे के मंत्रियों में पांच सवर्णों की भागीदारी रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय, जनरल वीके सिंह, स्मृति ईरानी और हरदीप पुरी की पहले से है।अब एक और ब्राह्मण को शामिल कर यूपी में विपक्ष द्वारा उठाए जा रहे ब्राह्मणों से भेदभाव के मुद्दे को भी कुंद करने का प्रयास किया गया है। जातीय संतुलन के साथ क्षेत्रीय संतुलन का भी पूरा ध्यान इस विस्तार में रखा गया है।

पिछड़ा वर्ग में देखें तो भाजपा के सहयोगी अपना दल की अनुप्रिया पटेल मीरजापुर से सांसद हैं। मोदी सरकार-1 में स्वास्थ्य राज्यमंत्री रहीं अनुप्रिया का पूर्वांचल के कुछ जिलों में कुर्मी समाज पर अच्छा प्रभाव है।
मोदी के मंत्रिमंडल में उनकी वापसी के साथ ही पूर्वांचल के ही महराजगंज से पंकज चौधरी को पहली बार केंद्रीय मंत्रीय बनाया गया है।वह भी कुर्मी नेता हैं। छठवीं बार सांसद चुने गए हैं तो क्षेत्र में प्रभाव और पकड़ के बारे में पूछना ही नहीं, इसी तरह संघ की पृष्ठभूमि वाले राज्यसभा सदस्य बीएल वर्मा पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बदायूं से आते हैं। लोधी-राजपूत समाज में उनकी अच्छी पकड़ मानी जाती है।

अलीगढ़, एटा, फर्रुखाबाद सहित कुछ जिलों इस समाज का अच्छा-खासा वोट है। जिस पश्चिमी उत्तर प्रदेश को विपक्ष ने कृषि कानून विरोधी आंदोलन से गर्माने की कोशिश की, वहां का प्रतिनिधित्व बदायूं की तरह आगरा के सांसद प्रो. एसपी सिंह बघेल को दलित कोटे से मंत्री बनाकर बढ़ाया है। सपा और बसपा में रह चुके बघेल भाजपा में आने के बाद योगी सरकार में भी मंत्री रह चुके हैं। पाल-बघेल समाज के प्रभावशाली नेताओं में शामिल हैं।

कौशल किशोर को जिम्मेदारी देना एक रणनीति

लखनऊ से सांसद राजनाथ सिंह पहले ही केंद्रीय कैबिनेट में हैं। अब इसी क्षेत्र की मोहनलालगंज सीट से सांसद कौशल किशोर को दलित कोटे से राज्यमंत्री बनाया है। यह भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं।बुंदेलखंड क्षेत्र के प्रतिनिधि के रूप में दलित वर्ग से आने वाले जालौन सांसद भानुप्रताप सिंह वर्मा को टीम मोदी में जगह मिली है। उनके पास लंबा राजनीतिक अनुभव है। 1991 में पहली बार विधायक बने वर्मा पांचवीं बार सांसद हैं। वहीं, खीरी सांसद अजय मिश्रा को मंत्री बनाकर ब्राह्मण को भी साथ और विकास का संदेश दिया गया है।

 इसे भी पढ़ें…

मनमोहन सरकार में इस्पात मंत्री रहे हिमाचल प्रदेश के पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह का निधन

पीएम मोदी के मंत्री मंडल में यह 43 नेता बनेंगे मंत्री, जानिए कौन कहा से

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here